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नाम तो खूब हुआ पर मंडी में नहीं मिल सकीं किसानों को सुविधाएं

शहर की सातनपुर मंडी आलू की बिक्री की वजह से देशभर की मंडियों में पहचान बनाए है। यहां से विभिन्न प्रांतों के लिए आलू की लोडिग होती है। राजस्व भी खूब आता है लेकिन किसानों के लिए मंडी में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। बेसहारा मवेशियों की वजह से पिछले कई वर्षों से किसान परेशान हैं। सड़कें कच्ची हैं इससे धूल के गुबार उठते रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Nov 2019 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 22 Nov 2019 06:06 AM (IST)
नाम तो खूब हुआ पर मंडी में नहीं मिल सकीं किसानों को सुविधाएं
नाम तो खूब हुआ पर मंडी में नहीं मिल सकीं किसानों को सुविधाएं

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शहर की सातनपुर मंडी आलू की बिक्री की वजह से देशभर की मंडियों में पहचान बनाए है। यहां से विभिन्न प्रांतों के लिए आलू की लोडिग होती है। राजस्व भी खूब आता है, लेकिन किसानों के लिए मंडी में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं। बेसहारा मवेशियों की वजह से पिछले कई वर्षों से किसान परेशान हैं। सड़कें कच्ची हैं, इससे धूल के गुबार उठते रहते हैं।

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मंडी में 18 नवंबर को नए आलू की बिक्री शुरू हो गई थी। किसान व आढ़तियों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें कुछ राहत मिलेगी, लेकिन हालात और बदतर हो गए। एकमात्र वाटरकूलर खराब पड़ा है। टीनशेड भी टूटे हैं। धूल उड़ने के कारण किसान व आढ़ती बीमार हो जाते हैं। बेसहारा मवेशियों की संख्या अधिक है। यह मवेशी लोडिग के लिए तैयार बोरों को फाड़ देते हैं, क्विटलों आलू खा जाते हैं। सुरक्षा व्यवस्था भी ठीक नहीं है। कई दुकानों में चोरी की घटनाएं पिछले दिनों हो चुकी हैं। इन मंडियों के लिए होती है आलू की लोडिग

सातनपुर मंडी से असोम, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड आदि प्रांतों की विभिन्न मंडियों के लिए लोडिग होती है। अक्सर नेपाल के लिए भी आलू लोड कराया जाता है। इस कारण देश भर में यह मंडी प्रसिद्ध है। हालांकि अनाज, मूंगफली, फल व सब्जियों की भी आढ़तें मंडी में हैं, जिनसे राजस्व मिलता है। ठंडे बस्ते में विकास का प्रस्ताव

गत वर्ष मंडी में दुकानें बनाने, सीसी रोड, नालियां आदि बनाने के लिए करीब 12 करोड़ 56 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था। मंडी के कर्मचारी यह प्रस्ताव स्वीकृत होने की जानकारी आढ़तियों को दे चुके हैं, जबकि मंडी के सभापति सिटी मजिस्ट्रेट सुनील कुमार ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार मंडी में काम कराने के लिए अभी कोई बजट स्वीकृत नहीं हुआ है। खराब वाटरकूलर व बेसहारा मवेशियों की समस्या को वह दिखवाएंगे। पहले ही होना चाहिए था काम

आलू आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष रिकू वर्मा ने बताया कि उन्हें मंडी में काम कराने को बजट स्वीकृत होने की जानकारी दी गई थी। यदि बजट स्वीकृत हो गया था तो मंडी सचिव को पहले ही काम कराना चाहिए था। अब आलू की बिक्री शुरू हो गई है। मंडी में अव्यवस्थाएं हैं, जिन्हें तुरंत सही कराया जाए।


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