ठप होने की कगार पर होम्योपैथी चिकित्सा व्यवस्था
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद जिले के होम्योपैथिक चिकित्सालय की स्थिति बहुत खराब है। 19 अस्पतालों में मात्र दो ही अस्पताल में डॉक्टर बैठते है। जब कि जिला होम्योपैथिक अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में मरीजों को दवा के लिए परेशान होना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के अधिकांश अस्पताल व लिजीगंज चिकित्सालय में ताला पड़ा रहता है। सप्ताह में एक या दो दिन ही स्वास्थ्य कर्मी पहुंचते हैं। जिससे मरीजों को दवा लेने के लिए जिला अस्पताल की ओर दौड़ लगानी पड़ती है।
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मीठी गोली से बेहतर इलाज। यह पद्धति डा. हैनीमैन ने खोजी। सरकार ने भी इस पद्धति को अपनाते हुए जिले में 19 होम्योपैथी चिकित्सालय बनवाए, लेकिन अधिकांश अस्पताल चिकित्सकों के अभाव में बंद रहते हैं। 19 अस्पतालों में मात्र दो ही अस्पताल में डॉक्टर बैठते है। जिला होम्योपैथी अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है। ऐसे में यहां के मरीजों को इस पद्धति के इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है। मरीज इस पद्धति से इलाज पाने के लिए लोहिया अस्पताल पहुंचते हैं। कुछ को यह दवा मिलती है तो कुछ को वहां भी नहीं।
जिले में होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की स्थिति यह है कि पिछले वर्ष जिला होम्योपैथी अधिकारी के रिटायर होने के बाद यह पद खाली चल रहा है। हालांकि लोहिया होम्योपैथी अस्पताल के चिकित्सक महेंद्र पाल सिंह के पास चार्ज है। जबकि दूसरे चिकित्सक की तैनाती सिविल अस्पताल लिजीगंज में है। उनके अन्य ड्यूटी पर चले जाने पर चिकित्सालय में ताला पड़ जाता है। यही स्थिति जिले के सभी अस्पतालों की है। 19 डॉक्टरों के सापेक्ष मात्र दो डॉक्टर ही कार्यरत हैं। फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय और सफाई कर्मी के भी पद रिक्त चल रहे है। केवल 8 फार्मासिस्ट और 17 वार्ड व्बॉय ही कार्यरत हैं। यह है चिकित्सालय
होम्योपैथिक चिकित्सालय जिला अस्पताल (लोहिया), सिविल अस्पताल लिजीगंज, रामानंद बालिका इंटर कॉलेज, आजाद भवन, बुढ़नामऊ, खुदागंज, दरौरा, बहोरिकपुर, पुठरी, नौली, रसीदाबाद, कायमगंज, भटासा, बछलैया, शुकरुल्लापुर, सलेमपुर, किराचिन, कड़हार, मंझना। उधार के भवन में चल रहे अस्पताल
अधिकांश अस्पतालों के पास अपने भवन भी नहीं हैं, जो उधार के भवन में चल रहे है। केवल लोहिया अस्पताल, लिजीगंज, खुदागंज, बछलैया, बढ़नामऊ अस्पतालों के पास अपने भवन है।
''चुनाव को लेकर चिकित्सक को बैठक में भी जाना पड़ता है। जिस कारण अस्पताल बंद करना पड़ता है। डॉक्टरों की कमी के चलते चिकित्सालय में मरीजों को देखने के लिए टाइम टेबल बनाया गया है। इसी के आधार पर अस्पतालों में मरीजों को देखा जाता है।''
- डॉ. महेंद्र पाल सिंह, जिला होम्योपैथिक अधिकारी (कार्यवाहक)। ''जिले में डॉक्टरों व कर्मियों की कमी है। शासन को इस बारे में अवगत कराया जा चुका है। किसी प्रकार काम चलाया जा रहा है।''
- डा. चंद्रशेखर, मुख्य चिकित्साधिकारी।