रामगंगा खतरे के निशान के करीब पहुंची
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। बाढ़ का
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : रामगंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। बाढ़ का पानी तटवर्ती गांवों में पहुंचने लगा है, जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं। अहलादपुर के बेघर ग्रामीणों ने कड़क्का बांध पर डेरा डाल लिया है। गंगा का जलस्तर चार दिनों से चेतावनी ¨बदु पर स्थिर है। अहलादपुर के ग्रामीणों ने झोपड़ियों से सामान निकालना शुरू कर दिया है। शरणालय में भोजन न मिलने से पीड़ित वापस लौट गए। ग्रामीणों को शरणालय में एक बार ही भोजन मिलता है।
गंगा की बाढ़ का पानी पट्टी भरखा, सैदापुर, जसूपुर, भुड़रा, बंगला, तीसराम की मड़ैया, सुंदरपुर, कलिका नगला, करनपुर घाट, नगला दुर्गु, आशा की मड़ैया, जोगराजपुर, रामपुर, उदयपुर गांव के घरों व झोपड़ियों में करीब 15 दिन से भरा है। ग्रामीण मकानों की छतों पर व सड़क पर पालीथिन के नीचे परिवार सहित रहने को मजबूर हैं। मवेशियों के चारे की भी समस्या विकराल हो गई है।
रामगंगा के जलस्तर में हो रही लगातार वृद्धि से पानी पहरियों के ऊपर निकल आया है। हीरानगर, गैलहार व भावन में बाढ़ का पानी पहुंच गया है। अहलादपुर के निकट कटान होने से ग्रामीण घरों से सामान निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। अहलादपुर के ग्रामीणों ने कड़क्का बांध पर डेरा डाल लिया है और पालीथीन तानकर रह रहे हैं। ग्रामीणों ने ईंधन व मकान से तोड़कर निकाली गई ईंट भी बांध पर ही रखी हैं। अहलादपुर भटौली के पीड़ितों के ठहरने के लिए स्कूल में शरणालय बनाया गया है, जिसमें पीड़ितों के भोजन की व्यवस्था की गई है। दो दिनों से शरणालय में एक बार ही पीड़ितों को भोजन मिलता है। दिन में खाने के लिए जाने वाले पीड़ित बैरंग लौटते हैं। रसोइया रामश्री व रामबेटी बताती हैं कि पहले बच्चों के लिए भोजन बनता है फिर पीड़ितों के लिए भोजन पकाया जाता है। दिन भर भोजन ही बनता रहता है। इनसेट
पीड़ितों को आवंटन के बाद भी नहीं मिली भूमि
डीएम मोनिका रानी ने अहलादपुर भटौली के 17 बेघर ग्रामीणों को आवासीय पट्टे आवंटित किए थे। 12 पीड़ितों को मुआवजा धनराशि दी थी। पीड़ितों को आवासीय पट्टे की भूमि की पैमाइश नहीं हुई है। जिससे पीड़ित नाराज हैं। गांव के शिवरतन व मनोज बताते हैं कि पट्टे की भूमि के अभिलेख मिल गए, लेकिन भूमि अभी नहीं मिली है। नायब तहसीलदार भानुप्रताप बताते हैं कि एक दो दिन में पीड़ितों को आवंटित भूमि की पैमाइश कर दी जायेगी। खेत में बरसात का पानी भरा होने से पैमाइश नहीं हो सकी। इनसेट
रामगंगा 35 सेमी बढ़ीं
रामगंगा का जलस्तर 35 सेंटीमीटर बढ़कर खतरे के निशान के करीब 137.05 मीटर पर पहुंच गया है। रामगंगा में खतरे का निशान 137.10 मीटर पर है। खोह हरेली रामनगर से रामगंगा में 17376 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा का जलस्तर 136.95 मीटर पर स्थिर है, नरौरा बांध से गंगा में 200483 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।जिससे गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने की आशंका बढ़ गई है।