बंदी के नवजात को शिशु-शाला भेजने की तैयारी
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : भाई की हत्या में जिला जेल में निरुद्ध दुष्कर्म पीड़िता बंदी के नवजात
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : भाई की हत्या में जिला जेल में निरुद्ध दुष्कर्म पीड़िता बंदी के नवजात शिशु की देखभाल का मुद्दा प्रशासन के गले की फांस बन गया है। एक ओर बाल कल्याण समिति जहां बच्चे को बाल-गृह भेजने की मांग कर रही है, वहीं युवती अपने बच्चे का लालन-पालन स्वयं करने की जिद पर अड़ी है। फिलहाल जेल अधीक्षक ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को नवजात शिशु की बेहतर देखभाल की व्यवस्था करने को पत्र लिखा है। डीपीओ ने बताया कि बच्चे को लखनऊ शिशु-शाला भेजने पर विचार किया जा रहा है।
भाई की हत्या के आरोप में जिला जेल में निरुद्ध युवती ने बुधवार को लोहिया अस्पताल में ऑपरेशन से हुए प्रसव में शिशु को जन्म दिया था। ऑपरेशन प्रक्रिया में स्वयं शामिल रहे मुख्य चिकित्साधिकारी डा. उमाकांत पांडेय के निर्देश पर प्रसव के बाद शिशु को एसएनसीयू वार्ड में रखा गया है। इधर बच्चे की देखभाल और उसके लालन-पालन को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। हालांकि नवजात को पांच वर्ष की आयु तक जेल में मां के साथ रहने की छूट है। जबकि जिला जेल के अधीक्षक की ओर से जिला प्रोबेशन अधिकारी भारत प्रसाद को भेज पत्र में युवती को मानसिक रूप से अस्वस्थ बताते हुए उसके नवजात शिशु की बेहतर देखभाल की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया है। पत्र में यह भी कहा गया है युवती के पिता ने बेटी से कोई संबंध न रखने की बात कही है। युवती का अन्य कोई परिजन भी अभी तक सामने नहीं आया है।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को ही युवती ने गर्भधारण के लिए पांचाल घाट निवासी एक बाबा को जिम्मेदार ठहराते हुए उसके खिलाफ दुष्कर्म की तहरीर दी थी। गर्भपात कराने की जिद पर अड़ी युवती ने बच्चे का मुंह न देखने की बात कही थी, लेकिन अब वह उसे अपने पास ही रखना चाहती है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर बाबा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसकी तलाश में दबिश भी दी, लेकिन बाबा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा।
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष डा. संजीव गंगवार ने बताया कि युवती के मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के चलते फिलहाल बच्चा उसके पास छोड़ना खतरनाक हो सकता है। इस लिए बच्चे को सुरक्षित लालन-पालन के लिए फिलहाल लखनऊ स्थित शिशु-शाला भेजा जाएगा।