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कभी था गुलजार, अब वीरान है आजादनगर बनपोई

संवाद सूत्र मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद) सोमवार को मथुरा में एसटीएफ और पुलिस की गोली का शिक

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 10:27 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 10:27 PM (IST)
कभी था गुलजार, अब वीरान है आजादनगर बनपोई
कभी था गुलजार, अब वीरान है आजादनगर बनपोई

संवाद सूत्र, मोहम्मदाबाद (फर्रुखाबाद) : सोमवार को मथुरा में एसटीएफ और पुलिस की गोली का शिकार हुआ दो लाख का इनामी अनिल बावरिया उर्फ अमित जिस गांव आजाद नगर बनपोई का रहने वाला था, वह कभी अपराधियों की बड़ी शरणस्थली था, लेकिन अब ग्राम पंचायत सकवाई का यह मजरा पूरी तरह से उजड़ चुका है। 20 वर्ष पहले जहां मकान हुआ करते थे, अब वहां मिट्टी के ढेर और बबूल के पेड़ खड़े हैं।

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ग्रामीणों के मुताबिक ग्रामीणों ने बताया कि आजाद नगर बनपोई में गोसरपुर जाने वाले मार्ग के किनारे वर्ष 2000 में महीलाल बहेलिया व मूलचंद बहेलिया आकर बस गए थे। महीलाल के श्रीपाल, उदयवीर, मनोहर व शंकर समेत नौ पुत्र थे। मूलचंद के छह पुत्र कमलेश, निरंजन, धर्मपाल, राजू, करन सिंह व जगदीश थे। वर्ष 2004 में आजाद नगर की आबादी 300 थी। जिसमें 20 परिवार थे और उनमें 170 वोटर। बहेलिया (बावरिया) परिवार के लोग यूपी, राजस्थान, दिल्ली व मध्य प्रदेश में डकैती व लूटपाट करने लगे। पहले तो लोगों को इनके कारनामे पता नहीं थे, धीरे-धीरे जब इनका राजफाश हुआ तो पुलिस ने सख्ती करनी शुरू कर दी। फूट पड़ी तो गिरने लगीं अपराधियों की लाशें

शुरू में यह सब एकजुट रहे, लेकिन वर्ष 2006 के बाद इनमें मतभेद शुरू हो गए। रामवीर का परिवारिक भाई हरनाम दबंगई के बल रामवीर की पत्नी को भगा ले गया। इसके बाद रामवीर की हत्या कर शव कुएं में फेंक दिया। नरेश बहेलिया ने सगे बहनोई मुकेश की हत्या कर दी थी। आपसी मतभेदों का फायदा उठाकर पुलिस की ताबड़तोड़ दबिश पड़ीं और कई बदमाश को पुलिस ने मार गिराया। मुकेश की हत्या का बदला उसके भाई राजा ने मोहन की हत्या करके लिया। महीलाल के पुत्र श्रीपाल, शंकर उर्फ शंकरा, भूप सिंह उर्फ भूपा व मूलचंद के पुत्र कमलेश व धर्मपाल पुलिस मुठभेड़ मारे गए थे। 2006 के बाद कई परिवार चले गए। वहां यह नाम और जाति बदल कर रहते हैं और अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं। बड़े अपराधी और डकैती के हुनरमंद को ब्याहते थे बेटी

आजाद नगर बहेलिया पुत्रियों की शादी में ऐसा वर खोजते थे जो बड़ा अपराधी हो और लूटपाट व डकैती में निपुण हो। उसकी शादी अच्छा दान दहेज देकर की जाती थी। इनका नाम व भाषा उनके परिवार के लोग ही समझ पाते थे।


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