पयार के बिछौने से फसल और धरती को पोषण
विजय प्रताप सिंह फर्रुखाबाद एक ओर पयार जलाने से पर्यावरण को लेकर हो रही समस्या पर सरकार
विजय प्रताप सिंह, फर्रुखाबाद
एक ओर पयार जलाने से पर्यावरण को लेकर हो रही समस्या पर सरकार से लेकर न्याय पालिका तक चितित है। वहीं क्षेत्र के एक प्रगतिशील किसान सुधांशु गंगवार ने पयार प्रबंधन का अनोखा तरीका निकाला है। पयार से खाद बन जाती है और कृषि मित्र कीट भी सुरक्षित रहते हैं। इस प्रक्रिया के साथ में खेत में फसल भी होती रहती है। पयार पर बिखरे फलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। अनोखी खेती करने के लिए उन्हें 23 दिसंबर को किसान दिवस पर प्रदेश सरकार से पुरस्कृत भी किया गया था।
शमसाबाद क्षेत्र कुइयां धीर निवासी सुधांशु गंगवार काफी बड़े इलाके में गन्ना भी उगाते हैं। सबसे बड़ी समस्या पयार प्रबंधन की थी। उसका उन्होंने तोड़ निकाल लिया। इससे उनके खेतों में जैविक खाद भी मिलने लगी और निरंतर फसल भी होती है। इसके लिए उन्होंने अपने खेतों में चार-चार फिट की दूरी पर चार फीट चौड़ी क्यारियां बनाई हैं। गन्ने के खेतों से निकलने वाली पयार को चार फिट की चौड़ी क्यारी में बिछा देते हैं। बची क्यारी में गेहूं आदि की फसल करते हैं। जिस क्यारी में पयार बिछाते हैं, उसके बीच में ककड़ी, तरोई, कद्दू आदि की फसलों की बुवाई कर देते हैं। इससे साल भर इसी पयार पर ककड़ी, कद्दू, तरोई आदि की बेल फैली रहती है। जमीन के सीधे संपर्क में न आने के कारण फल गुणवत्ता अच्छी रहती है। इसी पयार के नीचे खेतों के लिए लाभदायक माने जाने वाले केचुएं भी संरक्षित हो जाते हैं। करीब एक साल में यह पयार सड़कर जैविक खाद के रूप में तब्दील हो जाते हैं। अगले साल बची क्यारी में पयार बिछा देते हैं और पिछले वर्ष पयार वाली क्यारी में गेहूं आदि की फसल करते हैं।
विशिष्ट खेती करने पर प्रदेश सरकार ने किया सम्मानित
सुभाष पालेकर जी के माडल देसी गाय आधारित प्राकृतिक खेती करने के कारण सुधांशु गंगवार को विगत 23 दिसंबर को लखनऊ में आयोजित भव्य आयोजन में प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित किया गया। इस दौरान उन्हें 75 हजार की धनराशि पुरस्कार के रूप में दी गई। उन्होंने बताया कि उनके साथ प्राकृतिक खेती करने वाले कानपुर के प्रगतिशील किसान विवेक चतुर्वेदी 'चुन्ने भइया' और झांसी के श्याम बिहारी गुप्ता को सम्मानित किया गया था।