इस रफ्तार से तो नहीं मिलेगी बेसहारा मवेशियों से निजात
- खुले आसमान के नीचे रात काट रहे मवेशी - ठंड के बावजूद अस्थाई गोशालाओं में व्यवस्था नही
- खुले आसमान के नीचे रात काट रहे मवेशी
- ठंड के बावजूद अस्थाई गोशालाओं में व्यवस्था नहीं जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बेसहारा मवेशियों को पकड़कर अस्थाई गोशालाओं में बंद करने की समय सीमा समाप्त हुए 6 दिन बीत चुके हैं। हकीकत यह है कि शहर से लेकर गांव तक धरपकड़ अभियान की रफ्तार इतनी धीमी है कि फिलहाल इस समस्या से निजात मिलते नहीं दिख रही। बेसहारा मवेशियों के लिए बनाई गई अस्थाई गोशालाओं में ठंड से बचने के कोई उपाय भी नहीं हैं। जिससे मवेशी बीमार हो रहे हैं।
हालात यह है कि बेसहारा मवेशियों के झुंड शहर व आसपास क्षेत्र में घूमते हुए दिखाई देते हैं। मंगलवार सुबह पांचालघाट के बरेली हाइवे स्थित एक व्यवसायिक प्रतिष्ठान के अहाते में लोगों ने बेसहारा मवेशी खदेड़कर बंद कर दिए। प्रतिष्ठान के कर्मचारियों ने उन्हें फिर बाहर खदेड़ दिया। जिससे हाइवे पर मवेशी का झुंड आ गया। इस कारण कुछ देर तक यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई। शहर में चल रहे धरपकड़ अभियान का असर अभी तक नहीं दिख पा रहा है। जबकि शासन की ओर से तय 10 जनवरी की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। नगरपालिका ने सातनपुर पानी की टंकी व फतेहगढ़ की तिर्वा कोठी में पीडब्ल्यूडी के ट्रांजिस्ट हॉस्टल में अस्थाई गोशालाएं बनाई हैं। हॉस्टल की अस्थाई गोशाला में तो अभी तक कोई व्यवस्था ही नहीं हो सकी और न ही वहां मवेशी पहुंचे हैं। इस कारण कम जगह होने के बावजूद सातनपुर टंकी के अहाते में क्षमता से अधिक मवेशी बंद हो चुके हैं। वहां खुले आसमान के नीचे मवेशी रात गुजार रहे हैं। ठंड अधिक होने के कारण मवेशी बीमार हो रहे हैं। कम हिस्से में ही टीनशेड पड़ा है, उस पर भी बोरा या मोमियां बांधकर सर्द हवा रोकने का इंतजाम नहीं किया गया। धरपकड़ अभियान के प्रभारी सफाई नायक विनय ने बताया कि मवेशियों को रात में ही पकड़ना संभव है। दिन में अभियान नहीं चल पाता, जिससे विलंब हो रहा है।