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एक अध्यापक के जिम्मे शहर के नौ स्कूल

संवाद सहयोगी, कायमगंज : कायमगंज नगर क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग के 9 प्राथमिक विद्यालय संचालित

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Jul 2018 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 03 Jul 2018 07:08 PM (IST)
एक अध्यापक के जिम्मे शहर के नौ स्कूल
एक अध्यापक के जिम्मे शहर के नौ स्कूल

संवाद सहयोगी, कायमगंज : कायमगंज नगर क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग के 9 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं। इन विद्यालयों के निजी या किराए के भवन है। विद्यार्थी पंजीकृत हैं, मिड डे मील भी बनता है। लेकिन पढ़ाने के लिए अध्यापक नहीं हैं, आश्चर्य की बात है कि बाल अधिकार में शिक्षा के अधिकार का ढोल पीटने वाली व्यवस्था में इन 9 स्कूलों के लिए मात्र एक अध्यापक ही है। इससे खुद ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इन स्कूलों में शिक्षा की दशा क्या होगी।

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कायमगंज नगर क्षेत्र में बेसिक शिक्षा विभाग के कुल 13 विद्यालय संचालित हैं। जिसमें 9 प्राथमिक व 4 उच्च प्राथमिक यानी जूनियर स्कूल। मौजूदा सत्र के लिए नगर के कुल 13 स्कूलों के लिए मात्र 6 अध्यापक ही हैं। जिसमें पांच अध्यापक चार जूनियर स्कूलों में व एक अध्यापक नौ प्राथमिक स्कूलों के लिए है। हालांकि इन नौ स्कूलों के लिए तैनात पांच शिक्षा मित्रों को भी शिक्षक के रूप में मान लिया जाए, तब भी तीन स्कूल तो शिक्षकविहीन ही रहेगें। बाकी स्कूलों में भी सिर्फ एक अध्यापक या शिक्षा मित्र एक साथ कक्षा एक से कक्षा पांच तक कक्षाओं को कैसे पढ़ा सकता है। चूंकि स्कूल का इंचार्ज शिक्षा मित्र को बनाया नहीं जा सकता, इसलिए एक ही अध्यापक को कई स्कूलों का इंचार्ज बनाया गया है।

जूनियर स्कूल मुहल्ला काजम खां के प्रधानाध्यापक नाजिमुद्दीन पर जूनियर हाई स्कूल मुहल्ला पाठक, प्राथमिक स्कूल मुहल्ला चिलांका, बजरिया रामलाल, मुहल्ला बगिया, मुहल्ला पाठक सहित कुल 6 स्कूलों के प्रधानाध्यापक का चार्ज है। इसी क्रम में जूनियर स्कूल तहसील रोड के प्रधानाध्यापक रामरतन के पास, प्राथमिक स्कूल मो. कुकीखेल, व मुहल्ला सधवाड़ा सहित तीन स्कूलों का चार्ज है। प्राथमिक विद्यालय मुहल्ला जटवारा का चार्ज किसी के भी पास नहीं है। इसलिए वहां की व्यवस्था भगवान के ही भरोसे मानी जाएगी। लगता है कि विद्यालय अब सिर्फ भोजनालय बनते जा रहे हैं। क्योंकि अध्यापकों की कमी पूरी करने को संविदा पर अध्यापकरखने की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती। जबकि स्कूलों में मध्यान्ह भोजन बनाने के लिए छात्र संख्या के आधार पर एक से तीन तक रसोइया महिलाओं की नियुक्ति संविदा पर होती है। जिसका साफ मतलब है कि विभाग को बच्चों की पढ़ाई की नहीं सिर्फ मध्यान्ह भोजन व्यवस्था की ¨चता है। क्या कहते हैं जिम्मेदार

खंड शिक्षा अधिकारी व प्रभारी नगर शिक्षा अधिकारी रमेश चंद्र जौहर ने बताया कि अध्यापकों व शिक्षा मित्रों की कमी के कारण कई स्कूल शिक्षकविहीन हो गए है। रिटायर्ड अध्यापकों के सहयोग व अन्य व्यवस्थाओं से स्कूलों को जैसे तैसे संचालित किया जा रहा है।


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