नवरात्र की छायी लालिमा, मां की आराधना सुबह-शाम
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : लाल चूड़ा हो या लाल चूनर, लाल फूल हो या लाल चंदन व रोली। जिधर
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : लाल चूड़ा हो या लाल चूनर, लाल फूल हो या लाल चंदन व रोली। जिधर देखो उधर बस लाल ही लाल की बहार। शक्ति स्तुति पर्व वासंतिक नवरात्र पर मानो साधकों का कल्याण करने के लिए मां आयीं तो उनकी अगवानी का ऐसा ही माहौल घरों से मंदिरों तक छा गया। मां की आराधना में बीती भक्तों की सुबह और शाम। दुर्गा सप्तशती के ओजस मंत्रों से पूरा माहौल देवीमय बन गया।
'रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विशो जहि'। मां दुर्गा के दर्शन की लालसा और हाथों में फूलों व पूजन सामग्री से भरी डलिया लिए कतारों में खड़े भक्त और वातावरण में गूंजता जय माता दी का उद्घोष। शक्ति की अधिष्ठात्री भगवती जगदंबा की साधना-आराधना के पुण्य काल वासंतिक नवरात्र के प्रथम दिवस कुछ ऐसी ही श्रद्धा लुट रही थी।
घरों में भी की कलश स्थापना
मां जगत जननी जगदंबा के भक्तों ने घरों में कलश स्थापना की। साफ-स्वच्छ पात्र में गंगा की पवित्र रेत में जवारे बोए। कलश रखकर नारियल रखा। विधि-विधान से कलश का पूजन किया। कुछ श्रद्धालुओं ने सूर्योदय काल में ही कलश स्थापना की तो कुछ भक्तों ने 9 बजे से 11 बजे के बीच। प्रथम दिन भगवती के शैलपुत्री रूप का पूजन हुआ। मां को फलाहार का भोग लगाकर आरती की गई।
भोर की आरती के साथ ही शुरू हुए र्दशन
माता के दरबार खुलते ही मंदिरों में उत्सव का उल्लास छा गया। भोर की आरती के साथ ही श्रद्धालु पहुंचने लगे। मां के जयकारों के बीच दर्शन-पूजन का सिलसिला चलता रहा। गुरुगांव देवी मंदिर में पूरे दिन मेले जैसा नजारा रहा। निकटवर्ती जिलों के श्रद्धालुओं ने भी माता के दरबार में मत्था टेका। पूजन सामग्री की दुकानों पर बिक्री की रंगत छायी रही। फल-फूल का कारोबार भी चमक गया।
जग से निराली मेरी अंबे मइया
बढ़पुर शीतला माता मंदिर व संतोषी माता मंदिर में महिलाओं की कीर्तन मंडली ने माता को भजनों की माला प्रस्तुत की। ढोलक की थाप और मजीरों की झंकार के बीच नृत्य के साथ भजन-कीर्तन हुए। जग से निराली मेरी अंबे मइया भजन की धूम रही। वैष्णो देवी माता मंदिर भोलेपुर, मठिया देवी मंदिर, भारत माता मंदिर फतेहगढ़ में भी श्रद्धालुओं की भीड़ रही।