बछेन्द्री पाल ने कहा- एवरेस्ट पर चढऩे से ज्यादा मुश्किल था, अभियान पर निकलना
माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने वाली भारत की पहली महिला बछेन्द्री पाल समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को काफी महत्वपूर्ण समझते हुए अब गंगा नदी के सफाई के मिशन पर हैं।
फर्रुखाबाद (जेएनएन)। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतेह करने वाली भारत की पहली महिला बछेन्द्री पाल समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को काफी महत्वपूर्ण समझते हुए अब गंगा नदी के सफाई के मिशन पर हैं। उनका अभियान उत्तराखंड के हरिद्वार से शुरु हुआ है जो कि पटना में समाप्त होगा।
इस अभियान के तहत अपने दल के साथ कल रात फर्रुखाबाद पहुंची को फतह करने वाली पहली पद्मश्री बछेन्द्री पाल ने आज यहां पर गंगा सफाई अभियान को लेकर नुक्कड़ नाटक भी देखा। इसके साथ उन्होंने यहां सेंट्रल स्कूल के बच्चों के साथ अपने अनुभवों को साझा किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि मेरे लिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने से ज्यादा मुश्किल काम उस समय अभियान पर निकलना था। आज वह हालात नहीं हैं। अब तो चीजें सोच से बदलती है। इसी कारण हमें गंगा के प्रति भी अपनी सोच बदलनी होगी। उन्होंने कहा कि गंगा नदी जिसे हम अपनी मां कहते हैं, जिसमें हमारी आस्था है, वह हमारी वजह से आज कराह रही है। यह कैसी आस्था है। हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी।
आज सुबह गंगा के किनारे पांचाल घाट पर प्रभात फेरी के बाद सांकेतिक सफाई अभियान चलाया गया। इसके बाद बछेंद्री पाल और उनके साथ आए दल के सदस्यों ने सेंट्रल स्कूल पहुंचकर छात्रों से भेंट की। स्कूल में पौधरोपण भी किया गया। इस दौरान बछेन्द्री पाल में बच्चों के साथ आत्मिक संवाद स्थापित किया। उन्होंने बहुत सरल भाषा में बच्चों को सोच बदलने के बारे में समझाया।
उन्होंने कहा कि आज से लगभग दो दशक पूर्व एवरेस्ट पर चढ़कर उस पर तिरंगा लहराने से ज्यादा मुश्किलें उन्हें इस अभियान पर निकलने का फैसला करने में आई थीं। यह सोच का अंतर है। उस एक फैसले ने पूरे देश की सोच महिलाओं की हिम्मत के प्रति बदल दी। वह बताती हैं कि जब वह एवरेस्ट से लौटी थी तो अपने साथ लगभग 500 किलो कचरा साथ लाई थीं। जब एवरेस्ट से कचरा लाया जा सकता है, तो गंगा से कचरा साफ क्यों नहीं किया जा सकता। बस यही चैलेंज आपको लेना है। इसी सोच में परिवर्तन करना है और अपनी आस्था के दृष्टिकोण को बदलना है। गंगा जिसे हम अपनी मां कहते हैं, जिसमें हमारी धार्मिक आस्था है, जिसकी हम पूजा करते हैं, जिसके जल का हम आचमन करते हैं, उसी गंगा को गंदा भी हम ही करते हैं। यह कैसी आस्था है। इस दृष्टिकोण में अगर हमने परिवर्तन कर लिया तो गंगा को साफ होने समय नहीं लगेगा। उन्होंने गंगा स्वच्छता अभियान के दौरान स्थानीय लोगों से मिल रहे प्यार और उत्साह की काफी सराहना की और इसी में अपने अभियान की सफलता को भी देखा।