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    लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा, चीन व पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर खतरा, सेना पूरी तरह तैयार

    Updated: Sun, 07 Dec 2025 04:09 PM (IST)

    लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय सेना ...और पढ़ें

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    पत्रकारों को संबोधित करते लेफ्टीनेंट जनरल मनोज कटियार। जागरण

    जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। राजपूत रेजिमेंटल सेंटर फतेहगढ़ में हुई बाई-एनियल कांफ्रेंस के समापन अवसर पर कर्नल आफ द रेजिमेंट ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान कहा कि सेना का गैर राजनीतिक व गैर सांप्रदायिक चरित्र ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। इसे किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहिए। उन्होंने बताया कि चीन व पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर खतरा लगातार बना हुआ है, इसलिए आपरेशनल तैयारी में हल्की सी ढील भी स्वीकार नहीं की जा सकती। आपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकियों को उनके ठिकानों पर जाकर खत्म किया गया, जो सेना की बड़ी सफलता है। भविष्य की लड़ाइयों में ड्रोन युद्ध की बढ़ती भूमिका व उसकी तैयारियों पर भी उन्होंने जोर दिया।

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    भारतीय थल सेना में पश्चिमी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ रहे लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने रविवार को राजपूत रेजिमेंट के कर्नल आफ द रेजिमेंट की बैटन लेफ्टिनेंट जनरल एसएस साही को सौंपी। इससे पहले बाई-एनियल कांफ्रेंस के अंतिम दिन उन्होंने पत्रकारों से वार्ता के दौरान देश की सुरक्षा स्थिति व सेना की तैयारियों पर साफ राय रखी। उन्होंने कहा कि चीन व पाकिस्तान दोनों सीमाओं पर खतरा लगातार बना हुआ है, इसलिए आपरेशनल तैयारी में हम पहले से कई गुना बेहतर स्थिति में हैं।

     

    जनरल ने हाल में हुए आपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के जिम्मेदार आतंकियों को उनके ठिकानों पर जाकर खत्म किया गया, जो सेना की एक बड़ी सफलता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि सेना का चरित्र गैर राजनीतिक व गैर सांप्रदायिक रहना ही उसकी असली ताकत है, इसे हर हाल में बनाए रखना होगा।



    उन्होंने फतेहगढ़ /Bसे/B रेजिमेंट के भारत की सुरक्षा से गहरे जुड़ाव को याद करते हुए बताया कि वर्ष 1921 से फतेहगढ़ में स्थित राजपूत रेजिमेंटल सेंटर सौ वर्ष से अधिक समय से अपने गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है। देश के पहले कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल करिअप्पा इसी रेजिमेंट से रहे। परमवीर चक्र से सम्मानित नायक /Bनाथ/B के बलिदान को भी उन्होंने याद किया। उनके सम्मान में खजूरी में बना स्मारक आज भी बलिदान की याद दिलाता है।

     

    जनरल ने बताया कि रेजिमेंट की 25 यूनिटें आज पूर्वी लद्दाख, अरुणाचल व अन्य सीमाई इलाकों में तैनात हैं। आधुनिक युद्ध की चुनौतियों पर उन्होंने साफ कहा कि आने वाले समय में ड्रोन आधारित लड़ाई अहम होगी। इसलिए अग्निवीर सहित सभी स्तर के प्रशिक्षण में ड्रोन संचालन व उससे जुड़े सुरक्षात्मक उपाय जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि रेजिमेंट इस दिशा में पूरी तरह तैयार है।