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हुजूर की आमद है मरहबा, मरहबा..

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शनिवार को शहर में शानोशौक

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Dec 2017 10:35 PM (IST)Updated: Sat, 02 Dec 2017 10:35 PM (IST)
हुजूर की आमद है मरहबा, मरहबा..
हुजूर की आमद है मरहबा, मरहबा..

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शनिवार को शहर में शानोशौकत के साथ जुलूसे मोहम्मदी निकाला गया। हजारों की तादात में लोग इसमें शामिल हुए। इस बार काफी संख्या में ख्वातीन भी जुलूस देखने को सड़कों पर मौजूद नजर आईं। जुलूस में नात व मनकबत का आयोजन किया गया। तमाम मजहबी तंजीमों के रहनुमा और उलेमा इकराम ने जुलूस में शिरकत की।

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हुजूर की यौमे पैदाइश के मौके पर आशिके रसूल जश्ने ईद मिलादुन्नबी मनाते हैं। दरगाह हुसैनिया मुजीबिया के सज्जादानशीन कारी शाह फसीह मुजीबी ने नबी की सीरत पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि रसूल तो सारी दुनिया के लिए रहमत बन कर आए थे। उनकी रहमत किसी मुल्क या किसी कौम के लिए मखसूस नहीं थी। उन्होंने पैगाम दिया था कि किसी का दिल न दुखाना नहीं तो मेरे दिल को ठेस पहुंचेगी। जुलूस का आगाज मस्जिद काजी साहब से हुआ और अंजुमन स्कूल पहुंचकर जलसे में तब्दील हो गया। तकरीर के दौरान मौलाना ने फरमाया कि हमें हर वक्त हुजूर की बारगाह में दुरुद-ए-पाक पढ़ते रहना चाहिए। अल्लाह का शुक्रियादा करना चाहिये कि उसने हमें हुजूर की उम्मत में पैदा किया। जलसे के आखिर में मौलाना ने मुल्क में अमनो-अमान व कौम की तरक्की के लिए दुआ कराई। कारी अली अहमद व अंजर सीतापुरी ने नातिया कलाम पेश किए। मौलाना शमसाद चतुर्वेदी व एजाज नूरी ने भी खिताब फरमाया।

पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब की विलादत(ईद मिलादुन्नबी) के मौके पर शहर को दुल्हन की तरह सजाया गया। युवाओं, बच्चों और बुजुर्गों ने उल्लास भरे माहौल में इस्लामी परचम और पूरी अकीदत के साथ शिरकत की। जुलूस के दौरान सरकार की आमद है मरहबा-मरहबा, महबूब की आमद मरहबा-मरहबा.. की सदाएं बुलंद होती रहीं। चौक पर नवनिर्वाचित नगर पालिका अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल के पति मनोज अग्रवाल, सपा नेता विश्वास गुप्ता, व्यापार मंडल नेता इखलाक खां, अरुण प्रकाश तिवारी, बॉबी मिश्रा आदि ने जुलूस का स्वागत किया।

इस मौके पर फतेहगढ़ में भी सजावट की गई। दरगाह सत्तारिया से जुलूस शुरू हुआ। कोतवाली और चौराहा होते हुए शहर के तवाफ के बाद दरगाह पर ही पहुंच कर जुलूस खत्म हुआ। इसके बाद जलसा मीलादुन्नबी का आयोजन हुआ। अकीदतमंदों ने आतिशबाजी चलाकर खुशी का इजहार किया। पैदल के साथ ही ऊंट, घोड़े व सजी हुई गाड़ियों पर सवार अकीदतमंदों परचम लहराए। इस मौके पर मिर्जा हसन अशरफ, मौलाना शकील, यूनुस अंसारी, साविर अली, अफजल हुसैन, रिजवान अहमद ताज, शमसाद हुसैन, मजहर हुसैन, नसर खालिक आदि ने शिरकत की।

थानाध्यक्ष के नातिया कलाम पर तालियां

जुलूस के दौरान कानून व्यवस्था ड्यूटी पर तैनात मऊदरवाजा थानाध्यक्ष भुवनेश कुमार ने जब मरकजी गाड़ी से 'ऐसा न हो कि होठों पे नाम नबी का न हो, जो सांस ले रहे हो कहीं आखिरी न हो' नातिया कलाम पेश किया तो जुलूस में शामिल लोग बरबस ही तालियां बजाते नजर आए।

व्यवस्थित रहा ट्रैफिक

शहर में व्यवस्था बनाए रखने के लिए लालगेट से शहर में चार पहिया वाहनों का प्रवेश रोक दिया गया। घुमना के आगे तो केवल पैदल यात्रियों को ही निकलने दिया गया। इसके चलते गलियों व दूसरे रास्तों से होकर लोगों ने वाहन निकाले।


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