Positive News : फर्रुखाबाद में एचआइवी पॉजिटिव दंपती के निगेटिव 'बच्चे'
पति स्वास्थ्य विभाग में ही नौकरी में है तो पत्नी आशा बहू के तौर पर कार्यरत है। यह दंपती एड्स के बारे में समाज में फैली विभिन्न भ्रांतियों पाले लोगों के लिए मिसाल बन गए है।
फर्रुखाबाद, जेएनएन। चार नदियों से घिरे फर्रुखाबाद जिले में एक ऐसा भी परिवार है, जिसमें पति-पत्नी दोनों ही एचआइवी पॉजिटिव हैं। इसके बाद भी उनके बच्चे एचआइवी निगेटिव हैं। यह दंपती भी सामान्य जीवन जी रहे हैं।
पति स्वास्थ्य विभाग में ही नौकरी में है तो पत्नी आशा बहू के तौर पर कार्यरत है। यह दंपती एड्स के बारे में समाज में फैली विभिन्न भ्रांतियों पाले लोगों के लिए मिसाल बन गए है।
फतेहगढ़ कोतवाली क्षेत्र के एक एचआइवी पॉजिटिव युवक ने एड्स पीडि़त पॉजिटिव युवती से प्रेम विवाह किया था। जब युवती गर्भवती हुई तो दंपती ने बच्चे को एचआइवी से बचाने को विधिवत इलाज कराया। जिससे कि बच्चे में एचआइवी के संक्रमण न आ सकें। प्रसव के बाद पुत्र की जब जांच कराई गई तो उसमें एचआइवी निगेटिव निकला। यह जानकारी होने पर दंपती फूले नहीं समाए। स्वास्थ्य कर्मी की पत्नी फिर मां बनने वाली हैं। उन्होंने गर्भवती होने के बाद फिर इलाज शुरू कर दिया है। जिससे बच्चा एचआइवी निगेटिव रहे। यह दंपती उन लोगों के नजीर हैं जो इस बीमारी का नाम सुनकर रोगी से दूरी बना लेते हैं, या संक्रमित होने पर जिंदगी से मायूस हो जाते हैं।
जिले में हैं 597 एचआईवी पॉजिटिव
फर्रुखाबाद में वर्ष 2002 से अब तक कुल 544 एचआईवी पीडि़त मरीज सामने आ चुके हैं। जनवरी 2019 से अब तक 6852 लोगों की जांच में एचआइवी के 53 नए मरीज मिले हैं। इन सभी का इलाज कानपुर में चल रहा है।
क्या कहती हैं स्त्री रोग विशेषज्ञ
लोहिया महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नमिता दास ने बताया कि एचआइवी का संक्रमण लोगों में संक्रमित सुई तथा प्रदूषित रक्त आदि के कारण से फैलता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती की अन्य जांचों के अलावा एचआइवी की जांच कराई जाती है। अगर जांच में महिला को एचआइवी पॉजिटिव की पुष्टि होती है तो उन्हें अस्पताल में एआरवी सेंटर भेजते हैं। वहां से काउंसलर महिला को कानपुर स्थित जेएसवीएम मेडिकल कालेज के एआरटी सेंटर में भेजते हैं। वहां पर जांच के बाद महिला का इलाज शुरू होता है। प्रसव के बाद बच्चे को डेढ़ माह तक सीरप पिलाया जाता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने बताया कि अगर नौ माह तक महिला विधिवत इलाज करा लेती हैं और प्रसव के बाद बच्चे को सीरप पिला दिया जाता है तो बच्चे को एचआइवी से बचाया जा सकता है। कुछ बच्चों को बचाया भी जा चुका है। कन्नौज के गुरसहायगंज क्षेत्र के ट्रक चालक को वर्ष 2008 में एचआइवी हो गया। इसके बाद उनकी पत्नी भी एचआइवी से पीडि़त हो गईं। हालांकि उनके तीन बच्चे निगेटिव हैं।