सरकारी मशीनें ताले में कैद, निजी सेंटरों पर अल्ट्रासांउड
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शिशु-मातृ मृत्यु दर में अंकुश लगाने के लिए सरकार जननी सुरक्ष
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : शिशु-मातृ मृत्यु दर में अंकुश लगाने के लिए सरकार जननी सुरक्षा योजना के तहत प्रसूताओं के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। इसमें प्रसूता को सरकारी अस्पताल में निश्शुल्क अल्ट्रासाउंड कराने की भी सुविधा है। इसके लिए करोड़ों की लागत से मशीनें व अन्य संसाधन भी जुटाए गए, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रसूताओं को अल्ट्रासाउंड के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। क्योंकि सरकारी मशीनें ताले में कैद हैं।
गर्भस्थ शिशु की जांच के लिए गर्भ ठहरने के तीन माह बाद अल्ट्रासाउंड जांच होती है। लोहिया अस्पताल के साथ यह सुविधा सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरी है। इसके लिए करोड़ों का बजट भी खर्च किया गया और मशीनें मंगवाई गई। अब जिले में हालत यह है कि इन मशीनों को चलाने वाला कोई नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की छोड़िए जिला मुख्यालय पर स्थित लोहिया महिला अस्पताल में पिछले छह माह से अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था बंद पड़ी है। जिससे दूरदराज से आने वाली गर्भवती महिलाओं को निजी सेंटरों से अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं। गौरतलब है कि पहले पुरुष अस्पताल से महिलाओं के अल्ट्रासाउंड किए जाते थे। यहां के रेडियोलॉजिस्ट को अक्सर कोर्ट में गवाही देने के लिए जाना पड़ता है। जिससे महिलाओं के अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाते थे। जिसको देखते हुए डिमांड पर शासन ने महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था शुरू कराई। अव्यवस्था होने पर विगत छह माह पूर्व रेडियोलॉजिस्ट के इस्तीफा देने पर अब यह व्यवस्था बंद पड़ी है। अभी तक विभाग को रेडियोलॉजिस्ट नहीं मिल सका है। उधर जिले के नोडल अधिकारी प्रमुख सचिव ने अस्पताल के सीएमएस को रेडियोलॉजिस्ट रखने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अभी तक व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। जिससे गरीब महिलाओं को बाहर से अल्ट्रासाउंड कराने पड़ रहे हैं। सीएमएस डा. कैलाश दुल्हानी ने बताया कि उन्होंने शासन को अल्ट्रासाउंड न होने के बारे में अवगत करा दिया है। रेडियोलॉजिस्ट रखने की व्यवस्था सीएमओ कार्यालय से होनी है।