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हद है! गंगा मइया से भी जमीन छीन ली

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद हद है..भूमाफिया ने गंगा रेती की जमीन को भी नहीं बख्शा। राजस्व कि

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:31 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:03 AM (IST)
हद है! गंगा मइया से भी जमीन छीन ली
हद है! गंगा मइया से भी जमीन छीन ली

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : हद है..भूमाफिया ने गंगा रेती की जमीन को भी नहीं बख्शा। राजस्व कर्मियों से मिलीभगत करके पहले कटरी के अमेठी कोहना की जमीन को राजस्व रिकार्ड में बंजर कराया फिर इनके पंट्टे कर डाले। अब वहां पंट्टेदारों ने व्यावसायिक आश्रम बना डाले। दुर्वासा ऋषि आश्रम के चरागाह की भूमि की खोजबीन शुरू हुई तो खेल खुला। जांच के बाद तहसीलदार ने दो दिन में 71 पट्टों के निरस्तीकरण की संस्तुति कर एसडीएम सदर को रिपोर्ट भेजी है। अब तक कुल 417 एकड़ भूमि के 220 पट्टेदारों का चिह्नांकन हो चुका है। पंट्टों के निरस्तीकरण के लिए पत्रावलियां तैयार की जा रही हैं।

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पाचाल घाट बंधा स्थित दुर्वासा ऋषि आश्रम के महंत ओमकार दास ब्रह्मचारी ने 15 नवंबर 2019 को डीएम को प्रार्थनापत्र देकर ग्राम कटरी अमेठी कोहना स्थित आश्रम की चरागाह की भूमि दिलाने की माग की थी। इसी के बाद डीएम के आदेश पर जाच शुरू हुई तो गंगा रेती की भूमि का घोटाला सामने आया। तहसीलदार सदर राजू कुमार, लेखपाल गौरव त्रिवेदी, राजस्व निरीक्षक प्रमोद सिंह व विवेक पाडेय ने जाच के बाद एसडीएम सदर को भेजी आख्या में कहा है कि 417 एकड़ भूमि जो राजस्व रिकार्ड में गंगा रेत के नाम से दर्ज थी, उसे बदलकर बिना किसी आदेश के बंजर भूमि दर्ज कर दिया। बाद में उस भूमि के पट्टे कर दिए गए। कुल 220 पट्टे होने का उल्लेख जाच रिपोर्ट में है। तहसीलदार ने 29 जून को 20 पट्टे व 30 जून को 51 पट्टे निरस्त करने के लिए एसडीएम के माध्यम से डीएम को रिपोर्ट भेज दी है। अन्य चिह्नित हुए पट्टेदारों के निरस्तीकरण के लिए कार्रवाई चल रही है। तहसीलदार सदर राजू कुमार ने बताया कि पूर्व में पट्टे हुए थे, इसकी जाच की जा रही है। गड़बड़ मिलने पर पंट्टा निरस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी। जाच में कई गावों में खुलेंगे राज

राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार गैर आबाद गाव कटरी अमेठी कोहना ही नहीं कटरी सोता बहादुरपुर व कटरी भखरामऊ की भी गंगा रेती की हजारों बीघा भूमि पर इसी तरह कब्जा किया गया है। इसमें सैकड़ों बीघा भूमि पर अभी खेती हो रही है और तमाम भूमि की बिक्री हो चुकी है। कई जगह आश्रम व व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बने हैं।


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