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ढाई घाट पर कल्पवास न होने की जानकारी पर साधु-संतों में रोष

संवाद सूत्र शमसाबाद ढाई घाट पर कल्पवास न होने की जानकारी पर साधु-संतों में रोष व्याप्त ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Jan 2021 10:32 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 10:32 PM (IST)
ढाई घाट पर कल्पवास न होने की जानकारी पर साधु-संतों में रोष
ढाई घाट पर कल्पवास न होने की जानकारी पर साधु-संतों में रोष

संवाद सूत्र, शमसाबाद : ढाई घाट पर कल्पवास न होने की जानकारी पर साधु-संतों में रोष व्याप्त हो गया। एसडीएम व सीओ के समझाने के बाद भी साधु संत नहीं माने। साधुओं ने कहा कि वह लोग यहीं कल्पवास करेंगे, चाहे इसके लिए लखनऊ तक क्यों न जाना पड़े। साधुओं कहा कि सबसे प्राचीन घाट यही है।

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मकर संक्रांति से पूर्व भी कुछ साधु संतों ने ढाई घाट पर डेरा डाल दिया। गुरुवार सुबह गंगा स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं तथा साधु संतों ने कल्पवास के लिए झोपड़ियां डालना शुरू कीं। इसी बीच पहुंचे थानाध्यक्ष ने साधुओं को मेला न लगने की जानकारी दी और कहा कि वह लोग कल्पवास के लिए पांचाल घाट जाएं। इससे साधु संतों में रोष व्याप्त हो गया। इसी बीच एसडीएम व सीओ भी पहुंच गए और साधु-संतों से कहा कि सभी लोग पंचाल घाट पर पहुंचकर कल्पवास करें। वहां सारी व्यवस्थाएं की जाएंगी। इस बार यहां पर कोई भी दुकान नहीं लगेगी और न कल्पवास के लिए अनुमति होगी। केवल पर्व पर स्नान होगा। साधु-संतों ने कहा कि यह ऋषि मुनियों की तपोभूमि है, सबसे प्राचीन घाट यही है। पांचाल घाट तो बाद में बनाया गया है। प्रतिवर्ष वह लोग यहीं पर रहकर कल्पवास करते हैं। सरकार उनकी कोई व्यवस्था नहीं करती, पानी बिजली की व्यवस्था स्वयं कर कल्पवास करते हैं। वह लोग यहीं रहेंगे, चाहे लखनऊ तक जाना पड़े। साधु संतों ने कहा कि उनको पहले सूचना क्यों नहीं दी गई। एसडीएम सुनील कुमार यादव ने बताया कि दूसरे तट पर भी जनपद शाहजहांपुर प्रशासन इस वर्ष मेला नहीं लगवा रहा है। इसको देखते हुए इस तरफ भी मेला लगाने की अनुमति नहीं होगी। साधु संतों से पांचाल घाट पर पहुंचकर कल्पवास करने के लिए कहा गया है। उनको जगह भी उपलब्ध कराई जाएगी। ढाई घाट पर न मेला लगेगा और न ही दुकानें। केवल पर्व के दिन ही स्नान करने की अनुमति दी गई है।


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