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हाट बाजार पर दबंगों के कब्जे से उम्मीदें 'नीलाम'

संवाद सूत्र नवाबगंज किसानों को अपना सामान बेचने व खरीदारी के लिए गावं में ही बाजार उपलब्ध क

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 04:38 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2020 04:38 PM (IST)
हाट बाजार पर दबंगों के कब्जे से उम्मीदें 'नीलाम'
हाट बाजार पर दबंगों के कब्जे से उम्मीदें 'नीलाम'

संवाद सूत्र, नवाबगंज : किसानों को अपना सामान बेचने व खरीदारी के लिए गावं में ही बाजार उपलब्ध कराने को शासन की ओर से ग्राम पंचायतों में बने हाट (मिनी बाजार) का निर्माण कराया गया था। हालांकि प्रशासनिक उपेक्षा और उदासीनता के चलते सरकार का यह सपना पूरा न हो सका। दबंगों के दबाव के चलते किसानों की उम्मीदें भी नीलाम हो गई। देखरेख के अभाव में 15-15 लाख रुपए की लागत से बने यह हाट बदहाल होने की कगार पर हैं।

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विकास खंड नवाबगंज की ग्राम पंचायत कनासी, सैंथरा, फरीदपुर, ज्योना, ज्योनी, नगला फारम, सलेमपुर, दूंदेमई आदि में नौ वर्ष पूर्व मिनी बाजार (हाट) का निर्माण कराया गया था। ग्राम पंचायतों में निर्मित हाट में 10 दुकानें व दो चबूतरे बनाकर उनके ऊपर टिनशेड लगाई गई थी। हाट में आने वाले लोगो को पीने के पानी की सुविधा के लिये हैंडपंप व शौचालयों का भी निर्माण किया गया था। ग्रामों में हाट का निर्माण होने से ग्रामीण बेहद खुश थे, लेकिन उनकी खुशी परवान न चढ़ सकी। क्योंकि ग्रामों में हाट का निर्माण होने के बाद उसमें गांव के ही कुछ दबंग लोगो ने अपना कब्जा जमा लिया। लोगों ने हाट में बनी दुकानों में अपना भूसा आदि भरकर अपने ताले लगा लिए। हाट परिसर को लोगो ने अपनी जरूरत के मुताबिक उपयोग में लेना शुरू कर दिया है। देखरेख न होने के कारण धीरे धीरे हाट की फर्श, गेट आदि टूटने से बदहाल होने लगे है। यही हाल ग्राम पंचायत सैंथरा में निर्मित हाट का है।

हाट में बनी दुकानों में गांव के ही कुछ लोगो ने अपने उपयोग की वस्तुएं आदि रखकर अपने ताले डाल रखे है। हाटों के निर्माण के बाद कुछ दिनों तक ग्राम सैंथरा, फरीदपुर, ज्योना, ज्योनी, नगला फारम, सलेमपुर दूंदेमई आदि ग्रामों के लोगो ने हाट के बाहर सड़क किनारे अपनी दुकानें लगाना शुरू किया,लेकिन गांव के कुछ लोगों के परेशान किए जाने पर ग्रामीणों ने अपनी दुकानें लगाना बंद कर दिया। इससे गांव में अब कोई भी बाजार नहीं लगता। गांव के बदहाल पड़े हाटों की ओर किसी भी अधिकारी का ध्यान नही है, जिससे लाखों की लागत से बने मिनी हाट सफेद हाथी साबित हो रहे है। ग्रामीणों ने हाटों को कब्जे से मुक्त करा कर हाट बाजारों में बाजार लगवाए जाने की मांग जिलाधिकारी से की है। - हाट बाजार योजना के तहत इनका निर्माण कराया गया था। वर्तमान स्थिति की जानकारी नहीं है। जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

राजमणि वर्मा, परियोजना निदेशक ग्राम्य विकास अभिकरण


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