चिकित्सकों की गुटबाजी के चलते मरीज घंटों करते इंतजार
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद लोहिया अस्पताल में चिकित्सकों की गुटबाजी के चलते आम आदमी की स
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : लोहिया अस्पताल में चिकित्सकों की गुटबाजी के चलते आम आदमी की सेहत भगवान भरोसे है। कोरोना का खौफ इस कदर हावी है कि ओपीडी में बैठने को लेकर नियमित डॉक्टरों और संविदा चिकित्सकों में खेमेबंदी हो गई है। नतीजा यह है कि ओपीडी के समय चिकित्सकों के कक्ष खाली पड़े रहते हैं। मरीज घंटों इंतजार के बाद बैरंग लौट जाते हैं। अब तो यहां आने वाले मरीजों की संख्या भी कम हो गई है। स्थिति पर नियंत्रण को सीएमएस ने सख्ती की तो डाक्टरों ने उनके खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है।
कोरोना वायरस से बचाव को सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद करा दी गई थी। जब शासन ने ओपीडी में मरीजों को परामर्श देने के निर्देश दिए तो आपसी गुटबाजी और कोरोना के भय से कुछ चिकित्सक मरीजों को देखा नहीं जा रहा है। एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने को भी मरीजों को परेशान होना पड़ता है। लॉकडाउन से पहले 1500 से अधिक मरीज दवा लेने पहुंचते थे, अब मरीजों का आंकड़ा 100 के पार भी नहीं पहुंच रहा है। सोमवार को 80 मरीजों ने रजिस्ट्रेशन कराया। इनमें अधिकांश मरीज एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के थे। जब कि फ्लू कार्नर में 400 से अधिक मरीजों के पर्चे बनाए गए। यहां पर संविदा चिकित्सक खांसी जुखाम के मरीजों को देख रहे हैं। सीएमएस ने कुछ चिकित्सकों पर मरीजों को देखने का दबाव बनाया तो उन्होंने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते इंतजाम न होने पर वह मरीजों को नहीं देख रहे हैं। वहीं स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि संविदा कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है। सीएमएस डॉ. एसपी सिंह ने चिकित्सकों में गुटबाजी को लेकर मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है। जब उन्होंने मरीज देखने को कहा तो उनकी शिकायत कर दी गई। अब उन्होंने कहना बंद कर दिया है। वह और फिजीशियन मरीजों को परामर्श दे रहे हैं।