आबादी के दबाव में दम तोड़ता शहर का ड्रेनेज सिस्टम
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद नवाबों के दौर के शहर फर्रुखाबाद का करीब 300 साल पुराना ड्र
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : नवाबों के दौर के शहर फर्रुखाबाद का करीब 300 साल पुराना ड्रेनेज सिस्टम उम्र और बढ़ती जनसंख्या के दबाव में चरमारा चुका है। हद तो यह है कि बूंदाबांदी तक में शहर में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अधिकांश पुराने बड़े नाले ध्वस्त हो चुके हैं। दो दशक पूर्व शहर में सीवर सिस्टम के लिए शासन से एस्टीमेट मांगा गया था। हालांकि अभी तक न तो वह स्वीकृत हुआ और न ही बजट मिल सका।
गंगा के किनारे की पठारी भूमि पर बसे शहर में जल निकासी के लिए नालों के प्राकृतिक बहाव के आधार पर खुले और अंडर-ग्राउंड नालों का संजाल हुआ करता था। आजादी के 73 साल बाद भी शहर में नए ड्रेनेज सिस्टम की स्थापना तो दूर शहर में मौजूद अंडर-ग्राउंड नालों का रखरखाव तक नहीं हो सका। हालत यह है कि अधिकांश अंडर-ग्राउंड नालों का स्केच तक नगर पालिका के पास मौजूद नहीं है।
फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 19 नाले हैं। हर साल बरसात में इनकी 'तली झाड़' सफाई के नाम पर लाखों रुपये का डीजल और मानव श्रम के व्यय दिखा दिया जाता है। इसके बावजूद हालत यह है कि बूंदा-बांदी तक में शहर में जलभराव की स्थिति बन जाती है। गुदड़ी, तलैया फजल इमाम, कछियाना, अंगूरी बाग आदि नाले कूड़े व कचरे से पटे हैं।
नगरपालिका फर्रुखाबाद की आबादी-3.15 लाख
नियमित सफाई कर्मी - 295
संविदा सफाई कर्मी - 288
ठेका सफाई कर्मी - 290
सफाई व्यवस्था में लगे वाहन - 50
प्रतिमाह डीजल खर्च - करीब दो लाख रुपये जाने कब मिलेगी जलभराव से निजात
नगर पालिका प्रशासन हर साल जलभराव की समस्या से निजात दिलाए जाने के वादे करता है, लेकिन यह वादे कागजों तक ही सीमित हैं। शहर के बाशिदों का कहना है कि ना तो नगर पालिका प्रशासन और ना ही पालिकाध्यक्ष इस ओर ध्यान दे रहे हैं। पता नहीं जलभराव से कब निजात मिलेगी। मामूली बरसात में ही शहर के मुख्य मार्गो से लेकर गलियों तक में पानी भर जाता है। उनके मोहल्ले में तो आलम यह रहता है कि बरसात बंद होने के एक-दो घंटे बाद पानी निकलता है।
- पंकज बाथम, निवासी इस्माईलगंज सानी जलभराव की समस्या कोई नई नहीं है। हर बार पालिका प्रशासन इससे निजात दिलाने के दावे तो करता है, लेकिन आज तक निजात नहीं मिली है। नालों की सफाई भी कागजों पर होती है।
- अनुराग दुबे, निवासी असगर रोड ना जाने कब शहर में जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी। पालिका प्रशासन और पालिकाध्यक्ष को इस ओर कोई ठोस रणनीति बनानी चाहिए, जिससे जलभराव से निजात मिल सके।
- राहत खां, निवासी गढ़ी मुकीम खां हाल में ही ज्वाइन किया है। अप्रैल-मई में नालों की सफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए था, लेकिन संभवत: ऐसा नहीं किया गया। अभी मैं अवकाश पर हैं लौट कर आने के बाद जलभराव की समस्या पर बैठक में विचार करेंगे। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
- रविद्र कुमार, अधिशासी अधिकारी