देवोत्थान एकादशी आज, खूब बिके गन्ना व शकरकंद
मान्यता है कि देवशयनी एकादशी में योग निद्रा में जाने वाले भगवान विष्णु चार माह बाद देवोत्थान एकादशी पर जागते हैं। उनके जागने पर ही विवाह आदि शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं। आठ नवंबर को देवोत्थान एकादशी को लेकर गुरुवार को लोगों ने गन्ना शकरकंद व सिघाड़े की जमकर खरीददारी की। देवोत्थान एकादशी को लोग व्रत रखकर पूजन भी करेंगे।
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मान्यता है कि देवशयनी एकादशी में योग निद्रा में जाने वाले भगवान विष्णु चार माह बाद देवोत्थान एकादशी पर जागते हैं। उनके जागने पर ही विवाह आदि शुभ कार्य भी प्रारंभ हो जाते हैं। आठ नवंबर को देवोत्थान एकादशी को लेकर गुरुवार को लोगों ने गन्ना, शकरकंद व सिघाड़े की जमकर खरीदारी की। देवोत्थान एकादशी को लोग व्रत रखकर पूजन भी करेंगे।
देवोत्थान एकादशी को लेकर रेलवे रोड, लोहाई रोड, पल्ला बाजार, साहबगंज चौराहा और भोलेपुर आदि बाजारों में लोगों ने पहुंचकर गन्ना, सिघाड़ा और शकरकंद की खरीदारी की। देवोत्थान एकादशी पर शकरकंद, सिघाड़ा व गन्ना दान करने व खाने का विधान है। शकरकंद 25 से 30 रुपये प्रति किलो और 10 से 15 रुपये प्रति गन्ना बिका। बताते हैं कि देवोत्थान पर भगवान विष्णु का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के पूजन का विधान है। पांडवेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी गोपाल शर्मा ने बताया कि देवोत्थान एकादशी पर स्नान आदि करने के बाद विधि-विधान से पूजा करें और फिर पीपल के पेड़ के पास देशी घी का दीपक जलाएं। लक्ष्मी सूक्त का पाठ भी करें। देवोत्थान एकादशी पर तुलसी विवाह भी होगा। यह व्रत सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है।
होता तुलसी विवाह
देवोत्थान एकादशी के दिन ही तुलसी विवाह भी संपन्न होता है। यह विवाह तुलसी के पौधे व भगवान विष्णु के रूप सालिगराम के बीच बोती है। सामान्य विवाह की तरह तुलसी विवाह भी धूमधाम से होता है। आचार्य योगीराज दवे बताते हैं कि भगवान विष्णु जब चार माह की निद्रा के बाद जागते हैं तो तुलसी जी को याद करते हैं। तुलसी विवाह का अर्थ है तुलसी के माध्यम से भगवान विष्णु को योग निद्रा से जगाना।