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जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार की रिसीविग स्लिप पर विवाद

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद पंचायत चुनाव में नामांकन पत्रों की जांच के लिए सोमवार व मंगलवार

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 08:49 PM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 08:49 PM (IST)
जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार की रिसीविग स्लिप पर विवाद
जिला पंचायत सदस्य उम्मीदवार की रिसीविग स्लिप पर विवाद

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : पंचायत चुनाव में नामांकन पत्रों की जांच के लिए सोमवार व मंगलवार के दिन आरक्षित किए गए थे। जांच के बाद मंगलवार को निरस्त पर्चों की सूची जारी की जाएगी। जिला पंचायत सदस्यों के नामांकन पत्रों की आज पूरे दिन कलेक्ट्रेट में नगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में जांच चलती रही। इसी दौरान जांच कराने पहुंची एक महिला उम्मीदवार की प्राप्ति रसीद रख लिए जाने पर विवाद हो गया। हालांकि बाद में उन्हें रिसीविग दे दी गई।

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कमालगंज ब्लॉक की पंचम जिला पंचायत सीट से विगत 17 अप्रैल को नामांकन करने वाली उम्मीदवार राममूर्ति वर्मा को सोमवार सुबह पर्चे की जांच के लिए बुलाया गया। जांच के दौरान उसकी रिसीविग स्लिप अंदर एआरओ टेबल पर ले ली गई। नामांकन कक्ष से बाहर आने पर जब स्लिप नहीं दिखी तो उन्होंने वापस अंदर जाकर स्लिप दिए जाने की मांग की। राममूर्ति ने दावा किया कि काफी देर बाद उनकी स्लिप वापस कर दी गई, लेकिन उन्हें मंगलवार को शाम चार बजे फिर बुलाया गया है।

इस संबंध में सहायक निर्वाचन अधिकारी एसओसी डॉ. राजेश त्रिपाठी ने बताया कि रिसीविग स्लिप रखने की बात गलत है। जांच में पाया गया है कि राममूर्ति का प्रस्तावक संबंधित वार्ड का नहीं है। राममूर्ति को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है। यदि संतोषजनक उत्तर न मिला तो पर्चा निरस्त कर दिया जाएगा। हालांकि राममूर्ति ने जागरण को बताया कि उसने नामांकन के दो सेट दाखिल किए हैं। दोनों प्रस्तावकों की वोटर लिस्ट उनके पास है। दोनों उनके निर्वाचन क्षेत्र के हैं। कुछ असरदार प्रतिद्वंदी उनका पर्चा निरस्त कराने की साजिश कर रहे हैं।

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दस वर्ष पूर्व राममूर्ति चढ़ गई थी कलेक्ट्रेट की छत पर

लगभग दस वर्ष पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव के दौरान भी गलत तथ्यों के आधार पर राममूर्ति का पर्चा निरस्त कर दिया गया था। इसके विरोध में राममूर्ति ने कलेक्ट्रेट की छत पर चढ़ कर हंगामा कर दिया था। मामले में तत्कालीन डीएम ने जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद गलत रिपोर्ट लगाने वाले ग्राम पंचायत अधिकारी को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि तब तक निर्वाचन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी थी और राम मूर्ति चुनाव लड़ने से वंचित रह गई थीं।


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