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आइए कंपिल, यहां रामायण और महाभारत काल का इतिहास

पतित पावनी गंगा के तट पर स्थित छोटा सा शहर कंपिल कई युगों की एतिहासिक धरोहरों को अपने में समेटे है। पौराणिक नगरी कंपिल में त्रेतायुग में भगवान राम के अनुज शत्रुघ्न ने यहां के रामेश्वर नाथ मंदिर में शिवलिग की स्थापना की थी। मान्यता है कि सीता जी अशोक वाटिका में इसी शिवलिग की पूजा किया करती थीं। यहीं पर कपिल मुनि का आश्रम है। उन्हीं के नाम पर इस नगरी का नाम काम्पिल्य पड़ा था। जो बाद में कंपिल हो गया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:54 PM (IST)Updated: Sat, 05 Oct 2019 08:13 AM (IST)
आइए कंपिल, यहां रामायण और महाभारत काल का इतिहास
आइए कंपिल, यहां रामायण और महाभारत काल का इतिहास

अमन शाक्य, कंपिल (फर्रुखाबाद): हिदू धर्म-संस्कृति की यात्रा देश के कई पौराणिक स्थलों से होकर गुजरती है। इन पड़ावों में कंपिल ऐसी जगह है जो दो युगों के इतिहास का साक्षी है। त्रेता युग में रामायण और द्वापर युग में महाभारत, दोनों से जुड़े पौराणिक स्थल यहां पर आने वालों को आकर्षित करते हैं। यहां रामेश्वरनाथ मंदिर बड़ा ही खास है। वजह है यहां स्थापित शिवलिंग, जिसके बारे में किवदंती है कि यह रावण पर विजय के बाद प्रभु श्रीराम लंका से ले आए थे। अशोक वाटिका में सीता जी इस शिवलिंग की पूजा करती थीं। बाद में शत्रुघ्न ने मथुरा में लवणासुर का वध करने के लिए जाते समय इसे कंपिल में गंगा तट पर स्थापित कर दिया था। यहां सावन में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

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यहीं पर कपिल मुनि का आश्रम है। उन्हीं के नाम पर इस नगरी का नाम काम्पिल्य पड़ा था जो बाद में कंपिल हो गया। कभी कंपिल ही महाभारत काल में पांचाल की राजधानी भी रही है। मान्यता है कि यहीं द्रौपदी का जन्म हुआ और स्वयंवर भी। द्रौपदी कुंड आज भी यहां विद्यमान है। इतिहास में इस तीर्थ नगरी का एक प्राचीन नाम द्रुपद गढ़ भी मिलता है, जहां द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद राज करते थे।

कंपिल में प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर भी है, जिसमें गंगा नदी के गर्भ से प्राप्त श्यामवर्णी भगवान विमलनाथ की प्रतिमा विराजमान है। जैन धर्मग्रंथों के अनुसार प्रथम तीर्थकर श्री ॠषभदेव ने इस नगर को बसाया और पहला उपदेश दिया। इसे तेरहवें तीर्थंकर भगवान विमलनाथ जी का जन्म स्थल भी बताया गया है। यहीं पर बूढ़ी गंगा के किनारे मुगल शासकों द्वारा बनवाए गए मुगल घाट (विश्रांते) भी हैं। इतिहासकारों की मान्यता है कि प्रसिद्ध ज्योतिषी वाराहमिहिर इसी नगर में जन्मे थे।

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कंपिल और संकिसा को देश के पर्यटन मानचित्र पर स्थान दिलाने के लिए ब्लू-प्रिट तैयार कर शासन को भेजा गया है। शीघ्र ही इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों का विकास किया जाएगा। दोनों ही स्थान धार्मिक पर्यटन की ²ष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं।

- मोनिका रानी, जिलाधिकारी

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कैसे पहुंचें

कंपिल नगरी जनपद मुख्यालय फर्रुखाबाद से 45 किमी और कायमगंज तहसील मुख्यालय से 10 किमी दूरी पर स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन

कायमगंज रेलवे स्टेशन से 10 किमी और कंपिल रोड रेलवे स्टेशन पांच किमी पर स्थित है। स्टेशन से जाने के लिए ई-रिक्शा व टैक्सी उपलब्ध हैं।

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पर्यटकों के लिए आवासीय सुविधा

श्री श्वेतांबर जैन धर्मशाला

दिगम्बर जैन धर्मशाला


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