झोपड़ी में कटती ठंडी रात, क्योंकि जेब न गर्म कर सके
संवाद सूत्र कंपिल कड़ाके की इस ठंड में गांव राईपुर चिनहटपुर के बाहर खेतों में बनी
संवाद सूत्र, कंपिल :
कड़ाके की इस ठंड में गांव राईपुर चिनहटपुर के बाहर खेतों में बनी उस झोपड़ी में लड़ैती देवी और उनके दिव्यांग बेटे रामनिवास के लिए यह समय जिंदगी की लड़ाई से कम नहीं है। शीतलहरी का कहर, नश्तर बन चुभती सुरसुराती बर्फीली हवा, ठिठुराती गलन.. यानी मौसम का भयंकर सितम। यह भी जानिए कि रामनिवास उन लोगों में शामिल हैं जो प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों की सूची में दर्ज हैं। फिर भी यह हाल? आज ठंड में कांप रहे रामनिवास कभी उम्मीदों की सुखद धूप सर्दी के लिए सहेजने लगे थे जब पता चला कि सूची में वह भी हैं, उन्हें पक्का मकान नसीब होगा। मगर, सरकारी योजना उन्हें सर्दी में सुविधाओं की गर्माहट नहीं दे सकी। क्यों? जवाब रामनिवास से ही सुनिए। खुला आरोप लगाते हैं। कहते हैं, 'उनका लिस्ट में नाम है, इसके बावजूद उसे लाभ नहीं मिला। अधिकारी गांव आते हैं तो आवास का लाभ देने के एवज में खर्च मांगते हैं।' जेब गर्म न कर सके रामनिवास भले झोपड़ी में पूस की रातें काट रहे हैं, मगर उनके हौसलों में गर्मी कम नहीं। दिव्यांग होने के बावजूद मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं।
इसी गांव में एक और झोपड़ी में मिलते हैं महिपाल। पीएम आवास के लिए एड़ियां रगड़ डालीं, मगर जीवन झोपड़ी में कट रहा है। वह बताते हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना के शुरू होते आवास की उम्मीद जागी। एक साल पहले आवास के लिए आवेदन किया। कई महीनों तक कोई कार्यवाही नहीं हुई तो फिर आवेदन किया। करीब साल भर बीत जाने के बाद अन्य लोगों के आवेदनों पर कार्यवाही होने लगी, लेकिन उन्हें एक भी किस्त नहीं मिली। अधिकारियों के कई चक्कर लगाए, पर कोई बात नहीं बनी। थक हारकर घर पर बैठ गए। अब भी परिवार के साथ झोपड़ी में रहते हैं। हर साल बरसात में झोपड़ी में रखा अनाज भी भीग जाता है। अब ठंड में बेहाल हैं।
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2011 की पात्रता सूची के लोगों काम खत्म होने के बाद छूटे हुए लाभार्थियों को आवास योजना का लाभ दिया जाएगा। दिखवाते हैं कि इन लोगों का नाम किस सूची में है। यदि 2011 की सूची में नहीं है तो छूटे हुए लाभार्थियों की सूची में नाम शामिल कराया जाएगा।
- श्रीप्रकाश उपाध्याय, खंड विकास अधिकारी।