बादल व बूंदा-बांदी से आलू में झुलसा की आशंका
- पौष माह बीत चुका, फिर भी नहीं पड़ा कोहरा - किसानों को गेहूं का उत्पादन घटने का खत
- पौष माह बीत चुका, फिर भी नहीं पड़ा कोहरा
- किसानों को गेहूं का उत्पादन घटने का खतरा
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : तेज हवा के साथ सोमवार रात हुई बूंदा-बांदी और आसमान में बादलों के छाए रहने से आलू की फसल में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। मंगलवार को दिन भर बादल छाए रहे और धूप नहीं निकली। कई दिनों तक पाला पड़ने व कोहरा न पड़ने से आलू का उत्पादन कम होने की आशंका है। बूंदा बांदी ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है।
कोहरा न पड़ने से गेहूं की फसल में कल्ले कम होने से उत्पादन कम होने की आशंका थी। हालांकि सोमवार को हुई बूंदा-बांदी को गेहूं की फसल के लिए किसान मुफीद मान रहे हैं। मुजहा निवासी देवराज बताते हैं कि पिछैती आलू में झुलसा रोग लगने की आशंका बढ़ गई है। कुम्हरौर निवासी प्रभाकर त्रिवेदी बताते हैं कि हल्की बरसात होने से गेहूं की फसल के लिए भी मुफीद रही है। कोहरा व कड़ाके की ठंड न पड़ने से किसान मायूस
संवाद सूत्र, कंपिल : पौष माह बीतने के बाद भी कोहरा और कड़ाके की ठंड न पड़ने से गेहूं, सरसों आदि फसल करने वाले किसान मायूस हैं। कोहरा पड़ने पर गेहूं का दाना मोटा होता है व उतनी ही अधिक पैदावार होती है। इस दौरान कोहरा पड़ना बेहतर माना जाता है। इस बार पूरा पौष माह निकल गया और अभी तक एक भी बार कोहरा नहीं पड़ा है। किसानों को गेहूं की अधिक ¨सचाई भी करनी पड़ रही है। क्षेत्र में सबसे अधिक गेहूं की खेती होती है। किसान कोहरा पड़ने का इंतजार कर रहे हैं। सतीश वर्मा, दयाराम, कालेश्वर आदि किसानों ने बताया कि पौष के महीने में कोहरा पड़ने से गेहूं की फसल में अधिक उत्पादन होता है। ''ठंड कम होने के साथ कोहरा भी नहीं पड़ रहा है। तापमान औसत होने के नुकसानदायक तो नहीं है, लेकिन गेहूं के पौधों में इसका असर पड़ रहा है। नए किल्ले कम निकल रहे हैं। इससे बालियां कम होंगी और उपज भी कम होगी।''
- डा. राकेश कुमार ¨सह, जिला कृषि अधिकारी।