कोरोना से जंग में जीत की 'आशा'
आशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैलीआशा ने बदल दी ग्रामीणों की जीवन शैली
संवादसूत्र, ठठिया (कन्नौज) : कोरोना महामारी के दौरान एक भी दिन छुट्टी नहीं ली अगर हम देश को घर समझेंगे तो काम के घंटे नहीं गिनेंगे..। ये शब्द उस आशा कार्यकर्ता के हैं, जो रोजाना घर-घर जाकर ग्रामीणों को साफ सफाई और घर में रहने की नसीहत दे रही है। उमर्दा ब्लाक के ग्राम बरेवा पटकापुर की आशा कार्यकर्ता रमा बताती हैं कि ऐसे दौर में निरंतर सेवा देना आसान नहीं लेकिन, यही चुनौतियां और परिवार का सहयोग उन्हें बिना डरे एवं बिना थके सेवा के लिए प्रेरित करती हैं।
वह बताती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान जब ड्यूटी लगने की जानकारी घरवालों को हुई तो पति रामकिशोर ने कहा कि पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है तो तुम्हें भी इस लड़ाई में हिस्सा लेना चाहिए। यह पूरे परिवार के लिए गौरव की बात है। यह शब्द रमा के लिए बहुमूल्य उपहार थे। रमा कहती हैं कि ऐसे हालात में वह अलग तरह की जिम्मेदारी निभा रही हैं। 24 घंटे सजग रहकर उन लोगों को चिन्हित करने में जुटी हैं जो बाहर से आए। सेल्फ होम क्वारंटाइन में हैं तो कोई घरों से बाहर न निकले, इस पर ध्यान दे रही हैं। यह जानकारी भी जुटानी पड़ती है कि गांव में किसे खांसी, जुकाम, बुखार, गले में दर्द के लक्षण हैं, कितने लोग दूसरे राज्यों से आए हैं, कितने लोगों की कोविड-19 की जांच हुई या होनी है। घर-घर जाकर लोगों को सही तरीके से हाथ धुलना, शारीरिक दूरी का पालन व मास्क लगाने के फायदे बताती हैं। रमा के मुताबिक समाज के सभी लोग जागरूक हो जाएं तो निश्चित ही कोरोना की जंग जीत लेंगे।
जिले में रमा की तरह कई आशा कार्यकर्ताओं ने कोविड संक्रमण में जिम्मेदारीपूर्वक काम किया है। अन्य लोगों को भी उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। रमा को प्रशस्तिपत्र व सम्मान दिया जाएगा।
-डॉ. कृष्ण स्वरूप, सीएमओ