बदले पाठ्यक्रम व पढ़ाई में मेहनत से सीबीएसई बोर्ड में बरसे अंक
जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 2019-20 की परीक्षा में 95
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) 2019-20 की परीक्षा में 95 फीसदी अंक पाने वाले इंटरमीडिएट छात्रों की हुई वृद्धि को गुरुजन बदला पाठ्यक्रम व पढ़ाई में की गई उनकी मेहनत को मानते हैं। वह कहते हैं कि अच्छे अंक लाने से उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि सभी परीक्षाएं प्रतियोगी होती हैं। आठ बजे सोतीं, चार बजे जाग जातीं
केंद्रीय विद्यालय की टॉपर छात्रा शालिनी शाक्य ने बेहतर दिनचर्या से इंटरमीडिएट में 98.2 फीसदी अंक पाए। वह कहती हैं कि रात में आठ बजे तक सो जाती हैं और सुबह चार बजे उठकर पढ़ने बैठ जाती थीं। स्कूल से लौटने के बाद सायं चार से छह बजे तक कोचिग और फिर कोचिग से आकर घर में पढ़ती थीं। टीवी का कोई शौक नहीं रहा। मोबाइल पर ही मन बहलाने के लिए गेम खेल लेती हैं। बैडमिटन का शौक है। पूर्व सैनिक पिता राजेंद्र प्रसाद की पेंशन से घर चलता है। बैडमिटन व पेटिग का शौक
97.8 फीसदी अंक पाकर तीसरे स्थान पर रहीं केंद्रीय विद्यालय फतेहगढ़ की छात्रा गौरी यादव कहती हैं कि रात में सात से नौ बजे तक पढ़ती थीं और फिर खाना खाकर दस बजे तक सो जाती थीं। तड़के 3.30 बजे से छह बजे तक पढ़ाई करती थीं। मोबाइल पर यू-ट्यूब से भी टॉपिक पढ़ा करती थीं। पिता अधिवक्ता हैं तो पढ़ाई में कभी कोई आर्थिक संकट नहीं आया। चार से छह बजे तक कोचिग पढ़ती थीं। बैडमिटन व पेटिग का शौक है। अंकों के साथ ज्ञान भी आवश्यक
केंद्रीय विद्यालय फतेहगढ़ के प्रधानाचार्य आरसी पांडेय कहते हैं कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार 95 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थियों का बढ़ना उनकी बौद्धिक क्षमता को प्रदर्शित करता है। बच्चों की इस सफलता के पीछे पढ़ाई में उनकी मेहनत और बदला हुआ पाठ्यक्रम भी है। इस बार बोर्ड ने प्रश्न पत्र में कुल अंकों के 20 फीसदी प्रश्न वस्तुपरक रखे, जिससे भी बच्चों को अच्छे अंक मिले हैं। उच्च शिक्षा में प्रवेश पर बोले कि अच्छे अंक हासिल करने से उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि सभी परीक्षाएं प्रतियोगी होती हैं, जिसमें अनंत ज्ञान की आवश्यकता है। सीबीएसई बोर्ड समय-समय पर बदलता रहता स्लेबस
आर्मी पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य नीतू सिंह कहती हैं कि छात्रों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते इस बार ज्यादातर बच्चे 95 फीसदी अंक हासिल करने में सफल रहे हैं। सीबीएसई बोर्ड का पाठ्यक्रम वैज्ञानिक तरीकों को अधिक महत्व देते हुए बनाया गया है, जो अपने पाठ्यक्रम को समय-समय पर बदलता भी रहता है। इस बार भी बदले पाठ्यक्रम से अंकों की बारिश हुई। प्रधानाचार्य कहती हैं कि क्षेत्रीय बोर्ड में गणित और अंग्रेजी पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। बीते कुछ वर्षों में क्षेत्रीय बोर्ड ने अपने पाठ्यक्रम में काफी बदलाव किया है। खासकर गणित, अंग्रेजी व विज्ञान के स्लेबस कम किए हैं। सीबीएसई व यूपी बोर्ड में है फर्क
मोहनलाल शुक्ला इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य संदीप चतुर्वेदी कहते हैं कि यूपी व सीबीएसई बोर्ड में काफी अंतर होता है। यूपी बोर्ड में हिदी-अंग्रेजी पर जोर रहता है, जबकि विज्ञान व गणित का पाठ्यक्रम कम होता है। वहीं सीबीएसई में विज्ञान, गणित व अंग्रेजी विषय पर काफी जोर रहता है। वह कहते हैं कि सीबीएसई बोर्ड में 95 फीसदी अंक लाने वाले विद्यार्थियों की वृद्धि का कारण उसका बदला हुआ पाठ्यक्रम और बच्चों के बीच बढ़ रही प्रतिस्पर्धा है। उच्च शिक्षा में भले ही प्रतिस्पर्धा बढ़ रही हो, लेकिन आजकल के बच्चे इसका सामना करने को तैयार हैं।