डिफाल्टर उद्योगपतियों के नाम सार्वजनिक करने की दी चुनौती
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बैंक कर्मियों की हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही। ब
जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : बैंक कर्मियों की हड़ताल बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रही। बैंक कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कर्मचारी नेताओं ने बैंकों का लाखों करोड़ रुपया डकारे बैठे उद्योगपतियों के नाम सार्वजनिक करने व उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की चुनौती दी। सरकार की नीतियों को कर्मचारी विरोधी और देश के लिए घातक बताया।
बुधवार को हड़ताली बैंक कर्मचारी भारतीय स्टेट बैंक मुख्य शाखा के सामने सुबह 10 बजे एकत्र हुए। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बैंक एंप्लाइज यूनियन के मंत्री केदार शाह ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार श्रम कानूनों में परिवर्तन कर कर्मचारी वर्ग को कुचलना चाहती है। श्रम सुधारों के नाम पर सरकार हमारी आजीविका को प्रभावित कर रही है। उन्होंने दावा किया कि हड़ताल में लगभग 60 करोड़ के चेकों का समाशोधन या क्लिय¨रग नहीं हो सकी। लगभग सभी बैंकों में पूरी तरह काम प्रभावित रहा और हड़ताल सफल रही। आर्यावर्त ग्रामीण बैंक कमचारी यूनियन के मंत्री सुरेंद्र ¨सह ने कहा कि पांच साल में ही बैंकों का एनपीए तीन लाख करोड़ से बढ़कर 13 लाख करोड़ हो गया है। यह सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि बड़े डिफॉल्टर्स के नाम सार्वजनिक किए जाएं और उनके खिलाफ अपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाएं। इलाहाबाद बैंक के कर्मचारी नेता राम महेश कुशवाहा ने बैंकों में नई भर्ती शुरू करने की मांग की। प्रदर्शन में शशांक दुबे, राजेश तिवारी, प्रवीण पांडेय, लवकुश मिश्रा, हिमांशु रंजन, सतीश चंद्र, सूबेदार बाथम, महेश बाबू, आशुतोष तिवारी, तरुण गुप्ता, मयंक गुप्ता, प्रतीक मिश्रा, राहुल गंगवार, विजय वर्मा, कमलेश गौड़, संजीव कुमार आदि मौजूद रहे।
आयकर विभाग के कर्मचारियों ने भी बुधवार को हड़ताल के दूसरे दिन न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फॉर्मूले में वृद्धि, हाउस रेंट बकाया, प्रमोशनल उत्तराधिकार आदि मुद्दों के समर्थन में सभा की और सरकार से मांगों को पूरा किए जाने की मांग की। शासन को भेजे गए मांग पत्र में कहा गया है कि सभी रिक्त पदों पर भर्ती शीघ्र शुरू की जाए। समूह बी और सी के पदों के लिए क्षेत्रीय भर्ती को फिर से शुरू करने व पांच साल से अधिक समय से खाली पड़े पदों को खत्म करने के आदेश वापस लिए जाएं।