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पुलिस से बचते-बचाते चचेरे भाई पहुंचे थे अयोध्या

जागरण संवाददाता फर्रुखाबाद राममंदिर आंदोलन में जिले के लोगों का उत्साह भी कम नहीं था। ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 10:34 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 07:05 AM (IST)
पुलिस से बचते-बचाते चचेरे भाई पहुंचे थे अयोध्या
पुलिस से बचते-बचाते चचेरे भाई पहुंचे थे अयोध्या

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : राममंदिर आंदोलन में जिले के लोगों का उत्साह भी कम नहीं था। हर किसी के हृदय में राम नाम ने वह असर किया कि तमाम विरोध के बावजूद लोग अयोध्या पहुंचे थे। फतेहगढ़ के रहने वाले तीन चचेरे भाई भी पुलिस से बचते-बचाते मंदिर तक पहुंचे थे।

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राममंदिर आंदोलन से जुड़े गोला कोहना निवासी 85 वर्षीय रामनाम मिश्र बताते हैं कि 1992 में आंदोलन चरम पर था। तारीख याद नहीं, लेकिन अयोध्या में मंदिर के पास विशाल जनसभा थी, जिसमें शामिल होने को फतेहगढ़ से कई लोग अलग-अलग जत्थों में गए थे। वह भी अपने चचेरे भाई स्व. ओमनरायन मिश्र व सत्यनारायण मिश्र के साथ मरुधर एक्सप्रेस से लखनऊ पहुंचे। यहां उनकी भेंट डॉ. संतोष पांड्या से हुई। उन्होंने एंबुलेंस का इंतजाम किया, जिसमें फावड़ा, बेलचा आदि रखे थे। एंबुलेंस में हम चचेरे भाइयों समेत लखनऊ से भी दो लोग सवार हो गए। हम लोग अयोध्या पहुंचे तो जनसभा में हजारों की भीड़ जमा थी। भीड़ को देख मन में उत्साह दोगुना बढ़ गया। अयोध्या जाने वाली घटना पूछते ही बजाजा मोहल्ला निवासी सत्यनारायण मिश्र के चेहरे का भाव बदल गया। बोले कि तीनों चचेरे भाई अपने-अपने घर से निकले तो फतेहगढ़ कोतवाली के पास भारी संख्या में फोर्स लगा था। एमआइसी कॉलेज के पास की गली से होते हुए फतेहगढ़ स्टेशन पैदल ही पहुंचे। चेहरे पर अंगौछा बांधे थे, जिससे कोई पहचान न ले। बचते-बचाते लखनऊ और फिर अयोध्या पहुंचे। यहां चल रही जनसभा में लालकृष्ण आडवाणी व मुरली मनोहर जोशी समेत दिग्गज ¨हदूवादी नेता मौजूद थे और भीड़ जय श्रीराम के उद्घोष कर रही थी। लंबे संघर्षों के बाद आज उनका सपना पूरा हुआ है। जीवन की अभिलाषा आज हुई पूरी

शमसाबाद : मंदिर आंदोलन में जेल गए कस्बा के मोहल्ला मीरा दरवाजा निवासी डॉ. उमेश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि आज बहुत ही खुशी है। भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण की वर्षों की अभिलाषा आज पूरी हुई है। भगवान श्रीराम मंदिर आंदोलन में कस्बे से 5 लोग जेल गए थे। इसमें वह भी शामिल थे। पुलिस ने सभी को इटावा जेल में भेज दिया गया। उनके साथ जो चार लोग जेल गए थे, वह अब इस दुनियां में नहीं हैं। उस आंदोलन में शामिल होने वालों में केवल वही हैं। कोरोना को लेकर यदि अयोध्या में रोक न होती तो वहां जाकर शिलान्यास में भी हिस्सा लेते। आज का दिन जीवन में सबसे ज्यादा खुशी लेकर आया है। रात को दीपक जलाकर दीपावली मनाएंगे। उसके बाद जब अयोध्या जाने की छूट होगी तो वहां जरूर जाऊंगा और रामलला के दर्शन करूंगा।


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