दशानन का वध होते ही गूंजे जय जय सियाराम के उद्घोष
संवाद सूत्र कमालगंज असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरा रामलीला मैदान में घूमधाम से मनाया गया। शाम पांच बजे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जैसे ही लंका पति की नाभि में तीर मारा वैसे ही वह धराशाई होकर गिर गया। देर शाम नगर में भगवान राम की विजय यात्रा निकाली गई।
संवाद सूत्र, कमालगंज : असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरा रामलीला मैदान में घूमधाम से मनाया गया। शाम पांच बजे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने जैसे ही लंका पति की नाभि में तीर मारा, वैसे ही वह धराशायी हो गया। देर शाम नगर में भगवान राम की विजय यात्रा निकाली गई।
राम व रावण की सेनाएं गुरुवार दोपहर दो बजे मुख्य मार्ग से युद्ध का प्रदर्शन करती हुईं रामलीला मैदान पहुंचीं। जहां दोनों सेनाओं के बीच भीषण युद्ध हुआ। एक एक कर रावण के सभी योद्धा मारे गए तो लंकापति रावण स्वयं युद्ध मैदान में पहुंचा और राम को युद्ध के लिए ललकारा। युद्ध में राम के घनुष से छोड़े गए वाणों से दसों शीश कट गए, लेकिन रावण नहीं मरा। विभीषण ने श्रीराम को रावण की नाभि में वाण मारने को कहा। जैसे ही श्रीराम ने लंकापति पर वाण छोड़ा वह धराशायी हो गया। कमेटी संरक्षक सतीश चंद्र दुबे, मदन मोहन माहेश्वरी व अध्यक्ष रवि दुबे ने रावण, मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतलों में आग लगाई। तेज धमाकों के साथ पुतले धू धू कर जल उठे। पूरा मैदान जय जय सियाराम के उद्घोष से गुंजायमान हो गया। देर शाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की विजय यात्रा निकाली गई। जिसका जगह जगह पुष्प वर्षा कर व आरती उतार कर स्वागत किया गया। महामंत्री राजेंद्र गुप्ता, केशव चंद्र गुप्ता, रमेश चंद्र विश्नोई, अनुभव गुप्ता, संतोष दुबे, दिलीप गुप्ता, सन्नी गुप्ता, शांतीबोध पालीवाल, अजय माहेश्वरी, शिवकुमार हलवाई व अवधेश गुप्ता ने व्यवस्था संभाली। उपजिलाधिकारी सदर अनिल कुमार, क्षेत्राधिकारी अमृतपुर राजवीर सिंह गौर पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। हालांकि रावण वध लीला के लिए समुचित पुलिस बल न लगाए जाने के कारण मैदान में अव्यवस्थाओं का बोल बाला रहा। कमेटी ने इस पर नाराजगी जताई। रावण का सेनापति रिवाल्वर लेकर पहुंचा
राम रावण युद् के दौरान रावण का सेनापति प्लास्टिक की रिवाल्वर लेकर युद्ध में पहुंचा। लोग बोले अब तो लंकेश की सेना भी हाईटेक हो गई। लंकेश की सेना में तलवार की जगह खिलौने वाली रिवाल्वर नजर आ रही है। पुतलों की लकड़ी के लिए मारामारी
रावण वध के बाद पुतलों में लगे बांस की लकड़ी पाने को लोग धमाकों के बीच ही पुतलों के पास पहुंच गए। जिन्हें पुलिस कर्मियों ने वहां से खदेड़ा।