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UP की एंबुलेंस व्यवस्था की हकीकत: घोड़ा गाड़ी व ऑटो रिक्शा से अस्पताल पहुंचीं दर्द से कराहती गर्भवती

Ambulance Service not on Track in UP जननी सुरक्षा के नारों की गूंज के साथ ही संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है। इसके बाद भी प्रसूता को घोड़ा गाड़ी से आना पड़ रहा है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 06:15 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 06:20 PM (IST)
UP की एंबुलेंस व्यवस्था की हकीकत: घोड़ा गाड़ी व ऑटो रिक्शा से अस्पताल पहुंचीं दर्द से कराहती गर्भवती
UP की एंबुलेंस व्यवस्था की हकीकत: घोड़ा गाड़ी व ऑटो रिक्शा से अस्पताल पहुंचीं दर्द से कराहती गर्भवती

फर्रुखाबाद, जेएनएन। एक फोन कॉल पर दस मिनट में एंबुलेंस पहुंचने का दावा करने वाले प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को आइना दिखाने के लिए फर्रुखाबाद की एक दर्द से कराहती प्रसूता का उदाहरण ही काफी है। प्रदेश में जननी सुरक्षा के नारों की गूंज के साथ ही संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है। इसके बाद भी प्रसूता को घोड़ा गाड़ी व ऑटो रिक्शा से पहुंचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।

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फर्रुखाबाद में तो 102 एंबुलेंस सेवा के 21 वाहनों का बेड़ा है। इसके बाद भी गुरुवार को दर्द से कराहती गर्भवती महिलाएं घोड़ा गाड़ी व टेंपो से नवाबगंज सीएचसी पहुंचीं। कोरोना महामारी के चलते स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है। वहीं जनसुविधाओं पर लापरवाही हावी है।

फर्रुखाबाद के थाना क्षेत्र के गांव रायपुर निवासी रवि कुमार की पत्नी राधा देवी को गुरुवार दोपहर प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो स्वजनों ने गांव की आशा बहू सुनीता देवी को जानकारी दी। इस दौरान राधा की हालत बिगड़ गई। पति ने एंबुलेंस को कॉल किया, लेकिन तीन घंटे बाद भी एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। इस दौरान निजी वाहन की व्यवस्था न होने पर स्वजन गर्भवती को किसी तरह घोड़ा गाड़ी से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए।

इसी प्रकार गांव सोना जानकीपुर निवासी कौशल शाक्य ने भी पत्नी प्रेमलता को प्रसव पीड़ा होने पर एंबुलेंस को फोन किया। एंबुलेंस नहीं आई। आखिर थक हार कर स्वजन गर्भवती को ऑटो रिक्शा से लेकर अस्पताल पहुंचे। एएनएम सुमन चौहान ने बताया कि दोनों गर्भवती महिलाओं को भर्ती कर लिया गया है।

जिम्मेदार बोले- लखनऊ के कॉल सेंटर से नहीं आया कोई मैसेज

फर्रुखाबाद में एंबुलेंस सेवा के जिला प्रभारी सौरभ चौहान ने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है। फोन सीधे लखनऊ स्थित कॉल सेंटर पर पहुंचता है। अगर कॉल की गई तो एंबुलेंस क्यों नहीं पहुंची, इसकी जांच कराई जाएगी। 


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