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गजब! यहां तो हर दसवां बच्चा कुपोषित

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ्य जच्चा-बच्चा के लिए केंद्र से लेकर सरकार

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 06:57 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 06:57 PM (IST)
गजब! यहां तो हर दसवां बच्चा कुपोषित
गजब! यहां तो हर दसवां बच्चा कुपोषित

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ्य जच्चा-बच्चा के लिए केंद्र से लेकर सरकार विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही हैं। इसके बाद भी जमीन स्तर पर इसका कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है। इससे साफ हो रहा है कि या योजनाएं कागजों में संचालित हैं या फिर घपले का शिकार हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में अप्रैल से लेकर जुलाई तक जन्में 11,625 नवजातों में 1252 का वजन मानक से कम होना इस बात को पुख्ता करता है। ऐसे में जनपद का हर दसवां नवजात कुपोषित की श्रेणी में है।

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गर्भधारण के दौरान महिला आशा, आंगनबाड़ी और एएनएम की निगरानी में आ जाती हैं। गर्भवती महिला के प्रसव से लेकर 42 दिन तक उनके घर जाकर जच्चा बच्चा की देखरेख की जिम्मेदारी आशा बहू की है। इसके अलावा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सेंटर पर पुष्टाहार देकर गर्भवती महिलाओं को खानपान के बारे में भी जागरूक करतीं हैं। एएनएम के पास भी जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य को जांचने की जिम्मेदारी होती है। फिर भी हर दसवें बच्चा कुपोषित पैदा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस वर्ष अप्रैल से लेकर जुलाई तक कुल 10,871 बच्चों ने जन्म लिया। इसमें 5833 लड़के व 4959 लड़की हैं। घरों में 3007 व प्राइवेट अस्पतालों में 4,857 बच्चों का जन्म हुआ। इन कुल बच्चों में 1154 बच्चों का वजन मानक से कम निकला। इससे जाहिर हो रहा है कि सरकार की योजनाएं या तो कागजों में चल रही हैं या फिर इनका लाभ नहीं मिल पा रहा है।

लोहिया महिला अस्पताल में जन्मे बच्चों की दशा

माह कुल जन्म कुपोषित

अप्रैल 212 53

मई 336 88

जून 342 47

अगस्त 409 50

18 सितंबर तक 345 48

जननी सुरक्षा योजना के तहत खर्च होते हैं करोड़ों

सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ्य जच्चा-बच्चा के लिए सरकार जननी सुरक्षा योजना संचालित कर रही है। शहरी महिला को 1000 रुपये व ग्रामीण क्षेत्र की महिला को 1400 रुपये व पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत पांच रुपये मिलते हैं। सेंटरों में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता गर्भवती महिला को पुष्टाहार में पंजीरी आदि वितरित करेंगी। इसके अलावा गर्भवती महिला की गोदभराई में भी उन्हें पौष्टिक आहर, आयरन की गोलियां आदि दिया जाता है। एनआरसी में 17 व एसएनसीयू वार्ड में भर्ती 18 बच्चे

लोहिया अस्पताल में बने पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में इस समय 17 बच्चे भर्ती हैं। जबकि सिक न्यू वॉर्न बेबी केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड में 18 बच्चे भर्ती हैं। इनमें चार बच्चे कंगारू मदर केयर (केएमसी) में भर्ती हैं। अंतर न रखने पर बच्चे होते कुपोषण का शिकार

लोहिया महिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवाशीष उपाध्याय ने बताया कि बच्चे के जन्म के बाद दूसरे बच्चे के लिए करीब तीन साल का अंतर होना चाहिए, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देता। इसी के चलते बच्चों को वजन कम होता है। अगर उनका सही समय पर इलाज न कराया तो वह आगे चलते कुपोषण के शिकार होने लगते हैं। इनकी सुनें

'आशा बहू व आंगनवाड़ी की देखरेख में गर्भवती महिलाओं का इलाज किया जाता है। उन्हें दवाएं भी निश्शुल्क दी जाती हैं। गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार भी दिए जाते हैं। खानपान पर ध्यान न देने पर नवजात कम वजन के होते हैं।'

- अरुण कुमार उपाध्याय, मुख्य चिकित्साधिकारी।


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