गबन घोटाले में लेखाकार के साथ ईओ भी हैं आरोपित
संवाद सहयोगी कायमगंज कायमगंज नगर पालिका में करोड़ों के घोटाले व फर्जी नियुक्तियों में त
संवाद सहयोगी, कायमगंज : कायमगंज नगर पालिका में करोड़ों के घोटाले व फर्जी नियुक्तियों में तत्कालीन लेखाकार रामसिंह की बर्खास्तगी से यह प्रकरण फिर चर्चा में आ गया है। जिसकी परतें खुलीं तो सामने आया कि तत्कालीन ईओ प्रमोद श्रीवास्तव भी इस प्रकरण में आरोपित हैं। संबंधित मुकदमे की विवेचना में वह भी अभियुक्त बनाए गए हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए दोनों आरोपित अग्रिम जमानत के लिए अदालतों के चक्कर काट रहे हैं।
कायमगंज नगर पालिका में उजागर हुए घोटाले के संबंध में नगर पालिका की वर्तमान अधिशासी अधिकारी सीमा तोमर ने 30 मई 2019 को एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसमें पूर्व लेखाकार रामसिंह पर वर्ष 2011 से 2018 तक के अनियमित भुगतानों के अभिलेख गायब कर देने, फर्जी सेवा पुस्तिका से अधिकारियों को गुमराह करने, वर्ष 2016-17 में कूट रचित षड्यंत्र के तहत फर्जी दस्तावेज तैयार कर 42 कर्मचारियों को 2001 से पहले का दर्शाकर अनियमित तरीके से विनियमितीकरण करा स्थाई नियुक्ति देने तथा इन कर्मचारियों को करीब एक वर्ष तक फर्जी तरीके से वेतन देकर सरकारी धन को बड़ी क्षति पहुंचाने के आरोप लगाए गए। इससे पहले तत्कालीन अधिशासी अधिकारी प्रमोद कुमार श्रीवास्तव व लेखाकार रामसिंह को निलंबित तो कर दिया गया था, लेकिन एफआइआर में सिर्फ रामसिंह को नामजद किया गया था। बाद में पुलिस ने विवेचना के आधार पर तत्कालीन ईओ को भी आरोपित बना दिया।
ऑडिट में खुला 1.35 करोड़ का घोटाला
वर्ष 2017 के बाद जब पिछले बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो गया था। तब सुपरसीट के दौरान शासन के आदेश से ईओ प्रशासक बन गए थे। ईओ के रूप में खलासी पद वाले लेखाकार रामसिंह ने ईओ का चार्ज संभाल लिया। इन दोनों के हस्ताक्षरों से 1.35 करोड़ का गबन हुआ, जो आडिट में पकड़ा गया। जिसके लिए इन दोनों से जवाब मांगा गया, लेकिन इनके द्वारा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया।
बंद पड़ी हैं पूर्व लेखाकार के रिकार्ड की तीन अलमारियां
पूर्व लेखाकार के कार्यकाल वाली तीन अलमारियां (अलमारी नंबर एक, दो व तीन) बंद पड़ीं हैं। यह रहस्य बना हुआ है कि इन अलमारियों में उस समय के अभिलेख व कागज आदि हैं या गायब कर दिए गए। संभावना यही जताई जा रही है कि अभिलेख गायब होंगे। वर्तमान लेखाकार रामभवन यादव ने बताया कि उस समय के अभिलेख उन्हें चार्ज में नहीं मिले। बंद पड़ी यह अलमारियां क्यों नहीं खोली जा रही हैं, यह वह वह नहीं बता सके। जबकि दो वर्ष पहले आए नोडल सचिव ने तब आदेश दिया था कि मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में अलमारियां खोलकर उसके अभिलेखों की सूची बनाई जाए, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हुआ। डीएम ने शासन को भेजी है वसूली की रिपोर्ट
अधिशासी अधिकारी सीमा तोमर ने बताया कि गबन की गई 1.35 करोड़ धनराशि के लिए जिलाधिकारी ने तत्कालीन ईओ प्रमोद कुमार श्रीवास्तव व तत्कालीन लेखाकार (मूल पद खलासी) रामसिंह से वसूली किए जाने हेतु शासन को आख्या भेज दी है। अन्य मामलों में पुलिस में मुकदमा दर्ज है। जिसमें आरोपितों ने जिला न्यायालय में अग्रिम जमानत की याचिका की थी, जो निरस्त हो गई, उनके द्वारा हाईकोर्ट में अपील की गई वहां भी नगर पालिका पैरवी कर रही है।