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चरम की ओर उन्मुख रामनगरी का झूलनोत्सव

संवादसूत्र अयोध्या मंगलवार को रामनगरी का झूलनोत्सव चरम की ओर उन्मुख दिखा। सावन मास की पूर्णिमा तक चलने वाला रामनगरी का सुप्रसिद्ध झूलनोत्सव की सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के साथ उन्टी गिनती शुरू होने लगी। झूलनोत्सव में बमुश्किल 50 घंटे का समय शेष है और इस सच्चाई के मद्देनजर आयोजक उत्सव का शिखर परिभाषित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उत्सवधर्मिता आध्यात्मिक संजीदगी एवं आराध्य के प्रति समर्पण का पर्याय झूलनोत्सव शुरुआत से ही आकर्षण का सबब होता है। इक्का-दुक्का मंदिरों में तो झूलनोत्सव की शुरुआत सावन के साथ होती है पर सावन शुक्ल पक्ष तृतीया के साथ उत्सव की परिधि में नगरी के सैकड़ों मंदिर शामिल होते हैं। आठ दिनों के भीतर ही पंचमी एवं एकादशी तिथि के साथ उत्सव निरंतर चरम की ओर बढ़ता है। इस बीच न केवल उत्सव के संवाहक मं

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:23 PM (IST)Updated: Wed, 14 Aug 2019 06:25 AM (IST)
चरम की ओर उन्मुख रामनगरी का झूलनोत्सव
चरम की ओर उन्मुख रामनगरी का झूलनोत्सव

अयोध्या : मंगलवार को रामनगरी का झूलनोत्सव चरम की ओर उन्मुख दिखा। सावन मास की पूर्णिमा तक चलने वाला रामनगरी का सुप्रसिद्ध झूलनोत्सव की सावन शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के साथ उल्टी गिनती शुरू होने लगी। झूलनोत्सव में बमुश्किल 50 घंटे का समय शेष है और इस सच्चाई के मद्देनजर आयोजक उत्सव का शिखर परिभाषित करने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। उत्सवधर्मिता, आध्यात्मिक संजीदगी एवं आराध्य के प्रति समर्पण का पर्याय झूलनोत्सव शुरुआत से ही आकर्षण का सबब होता है।

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इक्का-दुक्का मंदिरों में तो झूलनोत्सव की शुरुआत सावन के साथ होती है पर सावन शुक्ल पक्ष तृतीया के साथ उत्सव की परिधि में नगरी के सैकड़ों मंदिर शामिल होते हैं। आठ दिनों के भीतर ही पंचमी एवं एकादशी तिथि के साथ उत्सव निरंतर चरम की ओर बढ़ता है। इस बीच न केवल उत्सव के संवाहक मंदिरों की संख्या में इजाफा होता है, बल्कि श्रद्धालुओं की आमद में निरंतर वृद्धि होती है। एकादशी से पूर्णमासी के बीच रामनगरी में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता-घुमड़ता है। इसी के साथ ही दूर-दराज तक से गायक, वादक एवं नतृक आराध्य को अपनी कला समर्पित करने के लिए जुटते हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही नजारा परिभाषित हो रहा है।

मंगलवार को दिन ढलते ही उत्सव का सूरज चमक उठा। मठ-मंदिरों में गमकते ढोल-मजीरे के साथ हारमोनियम से छिड़ती राग-रागिनियां आपस में समाविष्ट हो उत्सव को महोत्सव की रंगत दे रही होती हैं। ..तो इस मंदिर से उस मंदिर की ओर जाकर उत्सव का आस्वाद ले रहे श्रद्धालु आस्था के प्रवाह की उफनाहट के परिचायक प्रतीत होते हैं। कनकभवन, मणिरामदास जी की छावनी, दशरथमहल, रामवल्लभाकुंज, लक्ष्मणकिला, रंगमहल, रामकुंज कथामंडप, कोसलेशसदन, अशर्फीभवन, सुग्रीवकिला, लवकुश मंदिर, जानकीघाट बड़ास्थान, जानकीमहल, बड़ा भक्तमाल जैसे भव्यता के पर्याय मंदिरों सहित नगरी के 10 हजार में से तकरीबन एक हजार मंदिर झूलनोत्सव से गुलजार हैं।

इस बार बाघीमंदिर झूलनोत्सव से गुलजार हुआ। मंदिर प्रबंधक विकास श्रीवास्तव के अनुसार भगवान तो एक ही हैं और भक्त के लिए उनकी यथाशक्ति मनुहार अहम है। रविवार को देर शाम रंगमहल की प्रसिद्ध गलबहियां की झांकी से भी आस्था परवान चढ़ी।


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