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मंदिर निर्माण के लिए हवनकुंड में पड़ रही आहुति

रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की कामना से इन दिनों हवनकुंड में आहुति पड़ रही है। यह पहल है दशरथमहल बड़ास्थान के महंत विदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य की। दशरथमहल की जड़ें त्रेता से जुड़ती हैं। मान्यता है कि त्रेता में भगवान राम के समय इसी स्थल पर राजा दशरथ का महल था और जिस स्थल पर रामजन्मभूमि का दावा किया जाता है वह अयोध्या की रानियों का प्रसूति गृह था। त्रेताकालीन विरासत को नए सिरे से सहेजने का श्रेय करीब तीन सौ वर्ष पूर्व पहुंचे

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 11:55 PM (IST)Updated: Thu, 09 May 2019 06:21 AM (IST)
मंदिर निर्माण के लिए हवनकुंड में पड़ रही आहुति
मंदिर निर्माण के लिए हवनकुंड में पड़ रही आहुति

अयोध्या : रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की कामना से इन दिनों हवनकुंड में आहुति पड़ रही है। यह पहल है, दशरथमहल बड़ास्थान के महंत विदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य की। दशरथमहल की जड़ें त्रेता से जुड़ती हैं। मान्यता है कि त्रेता में भगवान राम के समय इसी स्थल पर राजा दशरथ का महल था और जिस स्थल पर रामजन्मभूमि का दावा किया जाता है, वह अयोध्या की रानियों का प्रसूति गृह था। त्रेताकालीन विरासत को नए सिरे से सहेजने का श्रेय करीब तीन सौ वर्ष पूर्व पहुंचे संत रामप्रसादाचार्य को जाता है। बाबा के आध्यात्मिक प्रताप से ही प्राचीन विरासत को पुनगररव प्रदान किया गया।

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वर्तमान विदुगाद्याचार्य दशरथमहल के 13वें आचार्य हैं। उनके संरक्षण में भी इस विरासत को सहेजने का अभियान सतत प्रवाहमान है। मंदिर में भगवान राम से जुड़े उत्सव उसी भाव से मनाए जाते हैं, जिस भूमिका में त्रेता में इस स्थान पर स्थापित राजा दशरथ का महल रहा होगा। इसी भावधारा के ही तहत यहां भगवान की बाल रूप में उपासना होती है और रामबरात उसी वैभव से निकलती है, जैसी त्रेता में राजा के महल से निकली होगी। विदुगाद्याचार्य स्वामी देवेंद्रप्रसादाचार्य नंदीग्राम स्थित भरत की तपस्थली एवं मखौड़ा स्थित यज्ञ भूमि जैसी त्रेतायुगीन धरोहर की भी सहेज-संभाल कर रहे हैं। वे भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के प्रति भी प्रयासरत हैं। इसी क्रम में प्रति वर्ष मखौड़ा की उस भूमि पर यज्ञ करते हैं, जहां दशरथ ने यज्ञ किया और यज्ञ के फलस्वरूप उन्हें भगवान राम सहित भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न जैसे यशस्वी पुत्र प्राप्त हुए। सालाना उत्सव के ही फलस्वरूप मखौड़ा का पर्यटन विकास शुरू हो चुका है और अब बारी रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की है। विदुगाद्याचार्य के कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु के अनुसार मखौड़ा में अनुष्ठान मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है।


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