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..हमारा पैगाम अनुष्ठान है जहां तक पहुंचे

वैदिक कर्मकांड के मर्मज्ञ कल्किराम 2014 से ही सक्रिय हैं। तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में सामने आए थे। गुजरात के मुखयमंत्री रहते ही मोदी की रीति-नीति के कायल कल्किराम ने तभी से उनकी कामयाबी के लिए अनुष्ठान शुरू किया.इस समय भी उनकी सफलता के लिए पूजा कर रहे हैं.

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 02:19 AM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 02:19 AM (IST)
..हमारा पैगाम अनुष्ठान है जहां तक पहुंचे
..हमारा पैगाम अनुष्ठान है जहां तक पहुंचे

अयोध्या : ..हमारा पैगाम अनुष्ठान है जहां तक पहुंचे। रामादल के अध्यक्ष पं. कल्किराम के बारे में यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं। राष्ट्रीय चुनौतियों से पार पाने के लिए वैदिक कर्मकांड के मर्मज्ञ कल्किराम ने स्वयं के लिए अनुष्ठानकर्ता की भूमिका मुकर्रर कर रखी है। इस भूमिका में वे 2014 से ही सक्रिय हैं। तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में सामने आए थे। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते ही मोदी की रीति-नीति के कायल कल्किराम ने तभी से उनकी कामयाबी के लिए अनुष्ठान शुरू किया। मोदी प्रचंड बहुमत से प्रधानमंत्री बने। इसी के साथ ही कल्किराम के अनुष्ठान की लौ रोशन होती गई। उन्होंने मोदी के नेतृत्व में भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए श्रृंखलाबद्ध अनुष्ठान छेड़ा। प्रधानमंत्री के प्रयासों की सतत सफलता और गत वर्ष लोस चुनाव में प्रधानमंत्री की कामयाबी के लिए उन्होंने विशद अनुष्ठान किए। इस वर्ष पांच मार्च को कोरोना संकट की आहट के साथ पं. कल्किराम ने रामकीपैड़ी स्थित रामादल के मुख्यालय पर 51 दिवसीय महामृत्युंजय महायज्ञ शुरू किया। कोरोना संकट गहराने के साथ अन्य चुनौतियां भी सामने आईं, तो पं. कल्किराम के अनुष्ठान का संकल्प विस्तृत होता गया। 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर महा मृत्युंजय महायज्ञ की पूर्णाहुति के साथ कल्किराम ने 10दिवसीय दश महाविद्या महायज्ञ और 11दिवसीय तंत्रोक्त विष्णु महायज्ञ शुरू किया। सात मई को इस अनुष्ठान की पूर्णाहुति के अगले दिन से ही उन्होंने 21 दिवसीय बगला ब्रह्मास्त्र अनुसंधान महायज्ञ शुरू किया। प्रतिदिन नौ घंटे जप एवं पाठ करते हैं और पं. कल्किराम 11 हजार कमल पुष्पों से यज्ञकुंड में गो घृत के साथ आहुति देते हैं। ..तो गत गुरुवार से चीन की ओर से भारत विरोधी सक्रियता एवं साजिश के मद्देनजर रामादल मुख्यालय पर ही 11 दिवसीय पाशुपतास्त्र महायज्ञ शुरू किया गया है। पं. कल्किराम के मुताबिक शास्त्रीय अनुष्ठान अमोघ माने जाते हैं, शर्त विधि-विधान के अक्षरश: पालन की है और इसका विशेष ध्यान भी रखा जा रहा है।

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