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टेलीविजन और मोबाइल टेक्नोलॉजी के मेड इन इंडिया होने से बचेगी विदेशी मुद्रा

अयोध्या डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के इंजीनियरिग संस्थान में स्मार्ट इनोवेशन इन कम्युनिकेशन एंड कम्प्युटेशनल साइंस विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सेंटर ऑफ रेलवे इनफार्मेशन सिस्टम के सदस्य विनीत गोयनका ने शोधार्थियों से कहा कि वे समस्याओं के समाधान का प्रयास करें ताकि लोगों के जीवन में सुकुन मिल सके।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:35 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:01 AM (IST)
टेलीविजन और मोबाइल टेक्नोलॉजी के मेड इन इंडिया होने से बचेगी विदेशी मुद्रा
टेलीविजन और मोबाइल टेक्नोलॉजी के मेड इन इंडिया होने से बचेगी विदेशी मुद्रा

अयोध्या: डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के इंजीनियरिग संस्थान में स्मार्ट इनोवेशन इन कम्युनिकेशन एंड कम्प्युटेशनल साइंस विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में सेंटर ऑफ रेलवे इनफार्मेशन सिस्टम के सदस्य विनीत गोयनका ने शोधार्थियों से कहा कि वे समस्याओं के समाधान का प्रयास करें, ताकि लोगों के जीवन में सुकुन मिल सके।

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कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट जैसे टेलीविजन, मोबाइल के आयात का खर्च पेट्रोलियम खर्च से कहीं ज्यादा है। बावजूद इसके मोबाइल व टेलीविजन टेक्नोलॉजी का मेड इन इंडिया होना जरूरी है। यदि ऐसा हो तो देश को विदेशी मु्द्रा का फायदा होगा और स्वदेशी वस्तुओं का इस्तेमाल बढ़ेगा। उन्होंने इन उत्पादों पर कार्य न किए जाने पर चिता जताई। ऐसा न होने से अधिक धन विदेश चला जाता है। कहा कि शोध का कार्य सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया: के सिद्धांत पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने रेलवे का उदाहरण दिया। कहा, पहले रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम ऑनलाइन नहीं था। यात्रियों को सफर करने में बड़ी असुविधा होती थी। रेलवे का घाटा भी होता था, लेकिन ऑनलाइन रिजर्वेशन की तकनीक से यात्रियों को सीट, ट्रेन एवं समयसारणी सहित पूरी जानकारी एंड्राइड एप की मदद से मिलने लगी। कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित ने रटने की प्रक्रिया को छोड़कर सैद्धांतिक अध्ययन अध्यापन पर पर जोर दिया। कहा कि इससे शोध व शिक्षा क्षेत्र के परिणाम बेहतर होंगे। विशिष्ट अतिथि विज्ञान भारती के पूर्व आचार्य सोमदेव भारद्वाज ने बताया कि भारत में कम्प्यूटर का प्रयोग 1980 में शुरू हुआ। उस समय कम्प्यूटर का प्रयोग एवं खर्च दोनों ही महंगा होता था। धीरे धीरे यह सस्ता हुआ और प्रयोग बढ़ा। मुख्य वक्ता कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट ग्वालियर के डॉ. मुनेश चंद्र त्रिवेदी ने कम्प्युटेशनल सांइस का प्रयोग एवं आवश्यकता को विस्तार से बताया। संगोष्ठी के तीन सत्र में दस शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। पहले सत्र की अध्यक्षता आचार्य राजकुमार तिवारी ने की और कहा कि बेस्ट मैनेजमेंट कार्य हो। प्रो. रामनयन राय ने स्मार्ट विलेज पर शोध कार्य करने का आह्वान किया। अतिथियों का स्वागत इंजीनियर रमेश मिश्र, परिमल तिवारी एवं आशुतोष मिश्र ने किया। डॉ. बृजेश भारद्वाज ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन इंजीनियर आस्था सिंह ने किया। विनीत कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार को 20 शोध पत्र प्रस्तुत होंगे।

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चीन से ऑनलाइन प्रस्तुत किए शोधपत्र

अयोध्या: कोरोना वाइरस के कारण चीन से शोध छात्र नहीं आ सके लेकिन उन्होंने स्काइप से ऑनलाइन शोधपत्र पढ़ा। चीन के साथ बुलगारिया से भी शोध प्रस्तुत किया गया।


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