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देवअर्पित पुष्पों से रोजगार की राह महका रहा सीएसआइआर

कारागार में महिला बंदियों को मिलेगा फूलों से अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण. सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने किया कार्यशाला का उद्घाटन.

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:21 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:21 PM (IST)
देवअर्पित पुष्पों से रोजगार की राह महका रहा सीएसआइआर
देवअर्पित पुष्पों से रोजगार की राह महका रहा सीएसआइआर

अयोध्या : वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) पुष्पों से रोजगार की राह महका रहा है। सीएसआइआर-सीमैप ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे देवअर्पित पुष्पों सहित अन्य प्रकार की वानस्पतिक संपदा का इस्तेमाल के बाद भी सदुपयोग हो सके। इसी के अंतर्गत सीमैप के निर्देशन में जिला कारागार अयोध्या में महिला बंदियों को पुष्पों से अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ताकि उनका बेहतर पुनर्वास हो सके और जेल से छूटने के बाद वह स्वरोजगार के रास्ते पर आगे बढ़ सकें। यह विचार सीएसआइआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी मांडे ने व्यक्त किया। डॉ. मांडे भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव भी हैं। वह यहां सीएसआइआर-सीमैप की ओर से आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन करने आए थे। उन्होंने कहाकि सीमैप की ओर विकसित इस तकनीक से अब तक बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। शिरडी साईं मंदिर, मां वैष्णो देवी, कटरा, जम्मू, हरिद्धार, उज्जैन, मैहर देवी सहित देश के लगभग सभी बड़े पूजा स्थलों पर स्वरोजगार से जोड़ा जा चुका है। सीमैप में किए गए अनुसंधान से यह सिद्ध हो चुका है कि अगरबत्ती निर्माण में परंपरागत रूप से प्रयोग किए जाने वाले बबूल की छाल, चंदन पाउडर अथवा कोयले के पाउडर के स्थान फूलों को सुखा कर बनाए गए चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है। इससे अगरबत्तियों के निर्माण में आने वाली लागत को भी कम किया जा सकता है। डॉ. मांडे ने भरोसा दिलाया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर रही महिला बंदियों को यदि कोई दिक्कत आती है तो सीएसआइआर-सीमैप उनकी मदद के लिए तैयार रहेगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सहयोग से आयोजित अगरबत्ती निर्माण प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्यक्रम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. सुनील सिंह ने आयोजन के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि यही कामना है कि यह प्रक्रिया एक इंडस्ट्री के रूप में विकसित हो। सीमैप के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। इस मौके पर उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के विशेष कार्यकारी अधिकारी भगीरथ वर्मा, सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक प्रो. सरोज के बारिक, सीमैप के निर्देशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, डीआईजी जेल संजीव त्रिपाठी, जेल अधीक्षक बृजेश कुमार आदि मौजूद रहे।

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अयोध्या में फूलों से अगरबत्ती बनाने का बड़ी संभावना

जेल अधीक्षक बृजेश कुमार ने कहाकि अयोध्या के मंदिरों में बड़ी मात्रा में पुष्प भगवान को अर्पित होते हैं। ऐसे में इन पुष्पों का उपयोग अगरबत्ती निर्माण में किया जा सकता है। इससे नदियों का प्रदूषण भी थमेगा। जेल में दस पुरुष व 20 महिला बंदी अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। फूलों के लिए रामनगरी के विभिन्न मंदिरों से सीएसआईआर-सीमैप ने संपर्क किया है।


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