त्रिनीडॉड के कलाकारों का जड़ों से जुड़ाव परिभाषित
अयोध्या : रामकथा सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है। यह सच्चाई जाननी हो तो कृष्णमूर्ति रामजीत, स
अयोध्या : रामकथा सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है। यह सच्चाई जाननी हो तो कृष्णमूर्ति रामजीत, संजय बुधाई, इल्विस ¨कग एवं शेन रामजीत से मिलिए। उनके पुरखे गिरमिटिया मजदूर के रूप में सवा सौ वर्ष पूर्व त्रिनीडॉड चले गए थे। वहां कई पीढि़यां गुजरीं और वे अपने पूर्वजों को भूल गए पर नहीं भूली तो रामकथा।
कृष्णमूर्ति रामजीत त्रिनीडॉड के पोर्ट ऑफ स्पेन में रामलीला मंडली का संचालन करते हैं। उनकी मंडली में भारतीय मूल के लोग रामलीला के प्रसंगों का मंचन कर वेस्टइंडीज में रामकथा की अलख जगाते हैं। अयोध्या शोध संस्थान गत कुछ वर्षों से दुनिया भर में व्याप्त रामकथा की कड़ियों को एकसूत्र में पिरो रहा है। इसी मुहिम के तहत त्रिनीडॉड की रामलीला मंडली न केवल शोध संस्थान के संपर्क में आई, बल्कि वहां के कलाकारों ने इसी माह छह नवंबर को दीपोत्सव के दिन रामलीला की प्रस्तुति से अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसी मंडली के निर्देशक कृष्णमूर्ति रामजीत सहित उनके सहयोगियों को लगा कि रामलीला की और जीवंतता के लिए रामनगरी की रामलीला का अंग बना जाय और यह साध पूरी करने के लिए त्रिनीडॉड की रामलीला मंडली के चार सदस्यों ने एक सप्ताह के लिए शोध संस्थान की नित्य रामलीला में भूमिकाएं अदा कीं।
शेन रामजीत ने हनुमानजी की भूमिका में, तो इल्विस ¨कग एवं संजय बुधाई ने रावण के गण की भूमिका में अपनी प्रतिभा को संवारा। कृष्णमूर्ति ने शोध संस्थान से जुड़े अनुभव को बेहद कीमती और अविस्मरणीय बताया। शोध संस्थान के प्रशासनिक अधिकारी रामतीरथ के अनुसार त्रिनीडॉड के कलाकारों ने जिस संजीदगी का परिचय दिया, वह स्थानीय कलाकारों के लिए भी प्रेरक बना।