भ्रमण का शौक हो तो फिर आइए घूम जाइए राम की नगरी अयोध्या
कभी अयोध्या घूम जाइए। यहां आस्था की मनुहार, कम खर्च में मस्ती, छुट्टियां बिताने के स्थल और शाम-ए-अवध की खूबसूरती देखते ही बनती है।
अयोध्या-फैजाबाद (जेएनएन)। आपको घूमने का शौक है तो फिर घूम अयोध्या आइए यहां आस्था की मनुहार, कम खर्च में मस्ती छुट्टियां बिताने के स्थल और शाम-ए-अवध की खूबसूरती देखते ही बनती है। यहां आस्था को परवान चढ़ाने वाले स्थल के अलावा, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पुरातत्विक महत्व के कई स्थल हैं। यह सब महज दो दिन में देखा जा सकता है। देश-विदेश का कोई व्यक्ति यहां सुविधापूर्वक भोजन, साधन और रिहायश के साथ विचरण कर सकता है। राम की नगरी कहीं जाने वाली अयोध्या उत्तर प्रधेश की राजधानी लखनऊ से 135 किमी दूर सरयू नदी के तट पर आबाद है।
- दर्शनीय स्थल-रामजन्मभूमि, हनुमानगढ़ी, कनकभवन, नागेश्वरनाथ, मणिरामदासजी छावनी, लक्ष्मण किला, मणिपर्वत, जैनमंदिर, सुग्रीव किला, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड, शीश पैगंबर, राजसदन, राजघाट उद्यान हैं।
- रहने के स्थल- मठ-मंदिरों के अलावा धर्मशालाएं, रामप्रस्थ, पंचवटी, साकेत आदि होटलों में पांच सौ से 12 सौ रुपये तक के कमरे उपलब्ध हैं।
- दर्शनीय स्थल-नवाबों की पुरानी राजधानी फैजाबाद स्थित गुप्तारघाट, चौक घंटाघर, गुलाबबाड़ी, बहू बेगम मकबरा, मकबरा बनीखानम, कंपनी गार्डेन एवं सूर्यकुंड हैं।
- रहने के होटल- कृष्णा पैलेस, शान-ए-अवध, तिरुपति, अवंतिका, ताराजी रिसार्ट, त्रिमूर्ति, पंचवटी व बेदी ड्रीमलैंड आदि होटलों में आठ सौ से तीन हजार सौ रुपये तक के कमरे उपलब्ध हैं।
- दशरथ समाधि -फैजाबाद से 16 किलोमीटर दूर आजमगढ़ मार्ग पर सरयू नदी के किनारे महाराजा दशरथ की समाधि स्थित है।
- श्रृंगी ऋषि आश्रम-फैजाबाद से 40 किलोमीटर दूर फैजाबाद-टांडा मार्ग पर सरयू नदी के किनारे श्रृंगी ऋषि आश्रम है।
- भरतकुंड- फैजाबाद से 15 किलोमीटर दूर इलाहाबाद मार्ग पर भगवान राम के अनुज भरत की तपोभूमि कमल से आच्छादित विशालकाय झील के रूप में अवस्थित है।
- कामाख्या भवानी- रुदौली स्थित सुनबा जंगल में गोमती नदी के किनारे कामाख्या भवानी धाम काफी रमणीय है।
- साधन-इन स्थलों तक आने-जाने के साधनों में ट्रेन, बस के अलावा टैक्सियां हैं। नगर में भ्रमण के लिए ई-रिक्शा सर्वोत्तम माध्यम है।
पर्यटन विकास की संभावनाएं चढ़ीं परवान
जनकपुर चल कर रामनगरी पहुंचने वाली मैत्री बस सेवा पर्यटन की संभावनाओं में चार-चांद लगाने वाली रही। अयोध्या को आराध्या की नगरी से सीधी परिवहन सुविधा मिली ही, पर्यटन की एक और राह प्रशस्त हुई। इसमें कोई शक नहीं कि आध्यात्मिक-सांस्कृतिक फलक पर भगवान राम एवं सीता महनीय किरदार हैं और अयोध्या एवं जनकपुर जैसी नगरी वैश्विक स्तर पर किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। ऐसे में इन नगरों से जुडऩे वाली परिवहन सेवा पर्यटन को सहजता से ही बढ़ावा देने वाली हैं। शनिवार को जब मैत्री सेवा के रूप में जनकपुर से चली बस अयोध्या पहुंची। पर्यटन से जुड़ी उम्मीद मात्र बस सेवा तक ही सीमित नहीं है, रामायण सर्किट के रूप में केंद्र सरकार पर्यटन के महती प्रकल्प को साकार करने में लगी है। इस योजना के तहत भगवान राम एवं मां सीता से जुड़े एक दर्जन से अधिक स्थलों के बीच सड़क निर्माण और परिवहन की अन्य सुविधाओं का समुचित विकास तथा स्थलों की पौराणिकता समीकृत करने के साथ उन्हें दर्शनीय स्थल का स्वरूप दिया जाना है।
रामायण सर्किट परियोजना
अगले चंद वर्षों में रामायण सर्किट परियोजना पूर्ण होनी है और तब अयोध्या के साथ जनकपुर एवं रामायण सर्किट के जुड़े अन्य स्थलों से जुड़ा पर्यटन किस कदर फले-फूलेगा, यह बताने की जरूरत नहीं है। मैत्री बस की अगवानी करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी ने पुरानी योजनाओं की वस्तुस्थिति बता कर और भविष्य की योजनाओं का संकेत देकर विश्व पर्यटन के मानचित्र पर अयोध्या को उभारने के वायदे के प्रति जवाबदेही का परिचय दिया। एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया, अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बस स्टेशन के निर्माण शुरू होने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है।
रामकी पैड़ी में अनवरत जलप्रवाह पर मंत्रणा
योगी ने रामनगरी के पर्यटन विकास का प्रतिनिधित्व करने वाली रामकी पैड़ी में अनवरत जलप्रवाह के लिए अधिकारियों के साथ मंत्रणा की। ...तो पर्यटन मंत्री ने स्पष्ट किया कि नवंबर में आगामी दीपोत्सव से पूर्व तक 133 करोड़ की लागत से प्रस्तावित परियोजनाओं का कार्य पूर्ण होने का भरोसा दिलाया। इन योजनाओं के तहत नए बस स्टेशन, पार्किंग स्थल का निर्माण, रामकी पैड़ी का सौंदर्यीकरण, सड़कों की मरम्मत, कुछ प्रमुख मंदिरों के नवीनीकरण आदि 18 योजनाओं पर काम होने हैं। अयोध्या को विश्व पर्यटन के मानचित्र पर चमकते देखने की चाह रखने वाले तीर्थ विवेचनी सभा के अध्यक्ष राजकुमारदास के अनुसार संभव है कि कुछ लेट-लतीफी हो पर वह दिन दूर नहीं, जब अयोध्या पर्यटन के क्षितिज पर चमकेगी और यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में भी प्रचुर वृद्धि होगी।