अयोध्या, रघुवरशरण। रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर और उसमें रामलला की स्थापना के लिए करोड़ों रामभक्तों की भावना के साथ संसाधनों की कोई कमी नहीं है, किंतु श्रीराम और उनसे जुड़ी आस्था के अनुरूप ‘सर्वोत्कृष्ट’ की आकांक्षा के चलते ऐसे अनेक मोड़ आए हैं, जब रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को काफी माथा-पच्ची करनी पड़ी है।
नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में रामलला की अनुकृति चुनने के भी लिए ट्रस्ट को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। यद्यपि प्रतिमा निर्माण कला आज इस दौर में है, जिसमें अपेक्षित मूर्ति का चयन करना बहुत कठिन नहीं होता। रामनगरी के ही अनेक मंदिरों में रमणीयता के शानदार उदाहरण के रूप में प्रतिमाएं स्थापित हैं, किंतु तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट श्रेष्ठतम प्रतिमा की तलाश में है। इसके पीछे अपनी भूमिका के प्रति ट्रस्ट का रवैया है।
ट्रस्ट शुरू से ही यह मान कर चल रहा है कि वह श्रीराम का जो मंदिर निर्मित करा रहा है, उसका निर्माण न केवल पांच सदी के कठिन प्रयास, पुरुषार्थ और बलिदान के बाद संभव हो पा रहा है, बल्कि वह उस स्थल पर निर्मित हो रहा है, जहां श्रीराम ने युगों पूर्व जन्म लिया था। ऐसे में श्रेष्ठतम मंदिर सुनिश्चित करने के साथ अब बारी श्रेष्ठतम प्रतिमा की है।
शील, शौर्य, सौंदर्य, करुणा, मृदुता, उदारता के प्रतिमान श्रीराम का यौवन जितना अद्वितीय था, बाल्या-शैशवावस्था भी उतनी ही अनन्य-अनुपम थी। उनका वर्ण नील गगन के सदृश था। इन प्रतिमानों और बेजोड़ विशेषताओं को प्रतिमा में जीवंत करने के लिए ट्रस्ट करीब छह माह से प्रयास कर रहा है। इसके लिए नेपाल की गंडकी नदी से शालिग्रामी शिला के साथ राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि से शिलाएं अयोध्या लाई जा चुकी हैं।
देश के अनेक शीर्ष मूर्तिकार प्रस्तुति दे ट्रस्ट को यह विश्वास दिलाने का प्रयत्न कर चुके हैं कि वह रामलला की प्रतिमा से न्याय करने में सक्षम होंगे। यह सब करने के बाद तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट शनिवार से शुरू हो रही राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक में रामलला की मूर्ति पर विचार के साथ बैठक में देश के शीर्ष मूर्तिकारों को भी शामिल करने की तैयारी में है।
रामलला की मूर्ति निर्मित करने की होड़ में पद्म विभूषण सम्मान से विभूषित सुदर्शन साहू, जयपुर का शीर्ष प्रतिष्ठान श्याम मूर्ति इंपोरियम, सिरोही की संस्था स्टोन एंड क्राफ्ट्स सहित अनेक दिग्गज मूर्तिकार शामिल हैं। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार बैठक में रामलला की प्रतिमा के साथ अनेक विषयों पर विचार होना है और यह सुनिश्चित किया जाना है कि तय समय सीमा के अंदर मंदिर निर्माण से लेकर रामलला की स्थापना हो।