सांस्कृतिक परंपरा पर हमला रोकना होगा : नृत्यगोपाल
महंत नृत्यगोपालदास ने अयोध्या से चित्रकूट तक निकलने वाली भरत यात्रा के प्रस्थान पर कहा कि संपूर्ण विश्व विषमता, अलगाव और चारित्रिक गिरावट से दुखी है।
अयोध्या (जेएनएन)। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिरामदासजी की छावनी के महंत नृत्यगोपालदास ने अयोध्या से चित्रकूट तक निकलने वाली भरत यात्रा के प्रस्थान पर कहा कि संपूर्ण विश्व विषमता, अलगाव और चारित्रिक गिरावट से दुखी है। सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक धरोहरों पर सत्ता प्राप्ति के लिए हमले किए जा रहे हैं, जिसे हर हाल में रोकना होगा। यह तभी संभव होगा जब समाज में चरित्र का निर्माण, संस्कृति, परंपराओं और समाजिक जीवनमूल्यों के प्रति निष्ठा होगी। भगवान राम ने अपने आदर्शों और मर्यादित जीवन के माध्यम से मानवता की रक्षा कर रामराज्य की स्थापना की और उनके इस संकल्प की पूर्ति में उनके अनुज भरत जी सहायक सिद्ध हुए।
सोमवार को 45 वीं भरत यात्रा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मणिरामदास जी की छावनी से निकली। सैकड़ों संत तथा राम भक्तों को साथ लेकर लगभग एक दर्जन वाहनों का काफिला चित्रकूट के लिये रवाना हुआ। इस अवसर पर न्यास अध्यक्ष ने साकेतवासी संत प्रभुदत्त ब्रम्हचारी को भी याद किया, जिनकी प्रेरणा से यह यात्रा विगत 45 वर्षों से मणिरामदास छावनी से चित्रकूट तक निकलती है। यात्रा का उद्देश्य सामाजिक जीवनमूल्यों की रक्षा समाज और परिवार को एकसूत्र मे बांधना है।
छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास शास्त्री के मार्गदर्शन में प्रारंभ हुई सात दिवसीय भरत यात्रा नंदीग्राम, सीता कुंड (सुलतानपुर), भारद्वाज मुनि आश्रम होती हुई नौ नवंबर को चित्रकूट पहुंचेगी। 10 नवंबर को कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा तथा अन्य धार्मिक-पौराणिक स्थलों की पूजा करने के उपरांत 12 नवंबर को प्रात: छावनी में आकर समाप्त होगी।