अयोध्या, जासं। रामलला की मूर्ति के लिए अनुकूल-अपेक्षित और सर्वश्रेष्ठ शिला को लेकर शनिवार को पूरे दिन मंथन चला। देश के चुनिंदा मूर्तिकारों ने न केवल रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय, कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि, ट्रस्ट के सदस्य महंत दिनेंद्रदास एवं डा. अनिल मिश्र के साथ बैठक की, बल्कि रामसेवकपुरम पहुंच उन शिलाओं का निरीक्षण किया, जो रामलला की मूर्ति के लिए पूरे देश और देश की सीमा से बाहर नेपाल तक से चुन कर लाई गई हैं।

इस बीच स्वामी गोविंददेव गिरि ने स्पष्ट किया कि रामलला की मूर्ति के लिए शिला के चयन पर मंथन का दौर चल रहा है। पहली नजर में कर्नाटक से आई आसमानी रंग की शिला रामलला की मूर्ति के लिए सर्वाधिक उपयुक्त प्रतीत हो रही है, किंतु मूर्ति निर्माण के विशेषज्ञों को डर है कि आगे चल कर यह शिला काली पड़ सकती है। श्रीराम के नीलकमल सदृश वर्ण के अनुरूप संगमरमर में भी विकल्प उपलब्ध हैं और विशेषज्ञ इस बारे में भी विचार कर रहे हैं।

ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष ने बताया कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की कार्ययोजना के हिसाब से रामलला की मूर्ति की शिला पर विचार के लिए अभी एक माह का समय शेष है। इस अवधि तक रामलला की मूर्ति के लिए कुछ अन्य स्थानों से भी लाई जाने वाली शिलाओं पर विचार किया जाएगा। रामलला की मूर्ति के लिए एक फरवरी से अभी तक कुल 11 शिलाएं आ चुकी हैं। ये शिलाएं नेपाल की गंडकी नदी से लेकर राजस्थान, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र तक से लाई गई हैं। मूर्तिकारों ने इन शिलाओं का अध्ययन किया और उनके बारे में तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को आवश्यक जानकारी दी।

एकत्र हुए हैं शीर्ष मूर्तिकार

रामलला की मूर्ति के आकार-प्रकार और शिलाओं के चयन के लिए रामनगरी में देश के शीर्ष मूर्तिकार एकत्र हुए हैं। इनमें विश्वनाथ कामथ, पद्मविभूषण सुदर्शन साहू, विष्णु शर्मा, सत्यनारायण पांडेय, कर्नाटक के गणेश भट्ट एवं मनैया बी आदि प्रमुख हैं।

Edited By: Prabhapunj Mishra