प्रधानमंत्री के आगमन से बदलेगी रामनगरी की तस्वीर
सीता झील नव्य अयोध्या के नाम से प्रस्तावित अयोध्या की एक उपनगरी विकसित करने सआदतगंज से अयोध्या के बीच 13 किलोमीटर फोरलेन एवं अयोध्या से गोरखपुर तक सिक्स लेन जैसी अनेक महती परियोजनाओं का कर सकते हैं शिलान्यास.
अयोध्या : प्रधानमंत्री पांच अगस्त को राममंदिर के लिए भूमि पूजन ही नहीं करेंगे बल्कि उनका आगमन रामनगरी की तस्वीर भी बदलने वाला सिद्ध होगा। समझा जाता है कि पर्यटन विकास की अनेक महती योजनाओं का शिलान्यास करेंगे। इनमें अयोध्या-फैजाबाद के बीच सरयू के कछार में सीता झील का निर्माण, नव्य अयोध्या के नाम से प्रस्तावित अयोध्या की एक उपनगरी विकसित करने, सआदतगंज से अयोध्या के बीच 13 किलोमीटर फोरलेन एवं अयोध्या से गोरखपुर तक सिक्स लेन की परियोजना संभावित है। सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार के प्रथम कार्यकाल से ही रामनगरी को उसकी गरिमा के अनुरूप विकसित करने की कोशिश अभियान की तरह सामने आयी और यह कोशिश 2017 में भाजपा की प्रदेश सरकार बनने के साथ परवान चढ़ी। इस बीच 80 करोड़ की लागत से अयोध्या रेलवे स्टेशन का विकास, अयोध्या में प्रतिवर्ष विश्व स्तरीय मेगा इवेंट के रूप में आयोजित दीपोत्सव, 15 करोड़ की लागत से अयोध्या बस स्टेशन, 37 करोड़ की लागत से गुप्तारघाट का विस्तारीकरण, 52 करोड़ की लागत से रामकी पैड़ी का नवनिर्माण, 24 करोड़ की लागत से भजन संध्या स्थल का निर्माण एवं रामायण सर्किट से जुड़े दर्जनों स्थलों का विकास तथा सैकड़ों किलोमीटर मार्ग का निर्माण यह बताने के लिए पर्याप्त है कि रामनगरी विश्व पर्यटन के मानचित्र पर छाने को तैयार है और पांच अगस्त को भूमिपूजन के साथ प्रधानमंत्री हजारों करोड़ की बेहद महती परियोजनाओं के शिलान्यास से रामनगरी को शीर्ष पर पहुंचाने का मार्ग प्रशस्त करेंगे। अयोध्या को मिलेगा शिखर का स्पर्श
- महापौर रिषिकेश उपाध्याय के अनुसार गत छह वर्षों का सफर रामनगरी का भाग्य बदलने वाला रहा है। इसके पीछे निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के साथ भाजपा नेतृत्व का सुनियोजित प्रयास रहा है। इस सुनियोजित प्रयास के साथ इसे रामलला की ही कृपा कहेंगे कि गत वर्ष नौ नवंबर को रामजन्मभूमि सुप्रीमकोर्ट के फैसले से सदियों के अपमान-अवमान से मुक्त होकर पूरी अयोध्या के साथ नये गगन की ओर बढ़ रही है और प्रधानमंत्री के आगमन से रामनगरी के इस रुख को शिखर का स्पर्श मिलेगा।