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रामलला का दर्शन कर बोले तारिक मिला हज का सवाब

अयोध्या मंगलवार को अविवि के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए पाकिस्तानी मूल के प्रख्यात समालोचक और वरिष्ठ पत्रकार तारिक फतेह ने रात्रि प्रवास विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में किया और बुधवार को सुबह रामनगरी पहुंचे। उन्होंने बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में हनुमानजी एवं रामजन्मभूमि पहुंच रामलला का दर्शन-पूजन किया। रामलला के दर्शन के बाद उन्होंने कहा हज का सवाब मिला।

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Jan 2020 11:21 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 06:03 AM (IST)
रामलला का दर्शन कर बोले तारिक मिला हज का सवाब
रामलला का दर्शन कर बोले तारिक मिला हज का सवाब

अयोध्या : मंगलवार को अविवि के एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए पाकिस्तानी मूल के प्रख्यात समालोचक और वरिष्ठ पत्रकार तारिक फतेह ने रात्रि प्रवास विश्वविद्यालय के गेस्ट हाउस में किया और बुधवार को सुबह रामनगरी पहुंचे। उन्होंने बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में हनुमानजी एवं रामजन्मभूमि पहुंच रामलला का दर्शन-पूजन किया। रामलला के दर्शन के बाद उन्होंने कहा, हज का सवाब मिला। इस दौरान वे कुछ देर के लिए जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के रामघाट स्थित आश्रम हरिधाम पीठ के मेहमान बने।

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जगद्गुरु ने वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर रहे ब्रह्मचारियों के साथ आश्रम के गेट पर आकर इस अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विचारक का स्वागत किया। इस दौरान पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए तारिक ने राममंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट के स्वरूप पर कहा, इसमें उन लोगों को शामिल किया जाना चाहिए, जिन्होंने राममंदिर निर्माण पर लड़ाई लड़ी है। मस्जिद के लिए मुस्लिमों को पांच एकड़ जमीन दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, हिदुस्तान में मस्जिद की कमी नहीं है। वैसे नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद की जरूरत नहीं है। घर बैठे भी नमाज अदा की जा सकती है। एक सवाल के जवाब में तारिक ने कहा, रोहिग्या मुस्लिमों की सारी लीडरशिप पाकिस्तान में है और उसका टॉप का लीडर कभी म्यांमार गया ही नहीं। तारिक मंगलवार को देर रात अविवि के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित के साथ अयोध्या स्थित आचार्य पीठ तिवारी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने संतों और अन्य लोगों से बात-चीत कर अनेक प्रश्नों का उत्तर दिया। वार्तालाप में तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी सहित बिदुगाद्याचार्य के कृपापात्र संत रामभूषणदास कृपालु, कथाव्यास आचार्य रत्नेश, मधुकरी संत मिथिलाबिहारीदास, कवयत्री एवं अधिवक्ता श्वेताराज आदि शामिल रहे। इससे पूर्व महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने अंगवस्त्र एवं स्मृतिचिह्न भेंट कर तारिक का स्वागत किया।


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