तमसा को अपने भगीरथ का इंतजार
फोटो- जासं अयोध्या जिस नगरी के राजा भागीरथ ने गंगा को धरती पर उतारा उसी धरती पर रामायणकालीन तमसा नदी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही है। भगवान राम के प्रथम वास की गवाह रही तमसा सिमटते दायरे और सिल्ट से कसमसा रही है और निगाह लगाए है.. कि कब कौन आगे बढ़े और इक्ष्वाकुवंशी भागीरथ जैसे कोई आए.। जानकार तो यहां तक मानते हैं कि तमसा को बचाने के लिए यदि जल्द ही कोई ठोस योजना नहीं बनी तो वह दिन भी दूर नहीं जब तमसा सरस्वती की तरह सिर्फ मान्यता भर बनकर रह जाएगी। जागरण ने तमसा की इसी दशा की पड़ताल की तो जानकारों की चिता की ठोस वजह नजर आई। गोसाईगंज संवादसूत्र के मुताबिक नालों से निकलने वाले पानी ने तमसा के जल को आचमन लायक भी नहीं छोड़ा। कई स्थानों पर तो तमसा नदी का स्वरूप ही नाले समान हो चुका है। पूर्व में महादेवा घाट सीताराम घाट व सत्संग घाट पर सुबह स्नान व पूजन करने वालों का जमावड़ा रहता था।
अयोध्या : जिस नगरी के राजा इच्छुवाक वंशी भगीरथ ने गंगा को धरती पर उतारा, उसी धरती पर रामायणकालीन तमसा नदी अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ रही हैं। भगवान राम के प्रथम वास की गवाह रहीं तमसा सिमटते दायरे और जमा सिल्ट से कसमसा रही हैं और निगाह लगाए हैं.. कि कब कौन आगे बढ़े और उनके लिए भगीरथ बन जाए। जानकार तो यहां तक मानते हैं कि तमसा को बचाने के लिए यदि जल्द कोई ठोस योजना नहीं बनी तो वह दिन दूर नहीं, जब तमसा नदी सरस्वती की तरह सिर्फ मान्यता भर बनकर रह जाएगी। जागरण ने तमसा नदी की दशा की पड़ताल की तो जानकारों की चिता की ठोस वजह नजर आई। सफाई पेश है जागरण टीम की रिपोर्ट-
--------------------- डीएम ने शुरू कराया था जीर्णोद्धार दो जनवरी को रुदौली ब्लॉक स्थित उद्गम स्थल से शुरू हुआ नदी की खोदाई का अभियान जिलाधिकारी डॉ. अनिल कुमार के स्थानांतरण के साथ ही ठिठक गया। नदी का जीर्णोद्धार मनरेगा से कराने की योजना बनी थी। उनकी मुहिम में स्वयंसेवी संगठन और कई दूसरे संस्थान भी शामिल हुए थे। इसका नतीजा भी मिलना आरंभ हुआ था, लेकिन उनके जाते ही यह कार्य धीरे-धीरे ठप होता गया। तमसा के तटवर्ती इलाकों पर बसे गांवों के प्रधानों की ओर से नदी के जीर्णोद्धार से संबंधित प्रस्ताव भी भेजा गया, लेकिन धनाभाव की वजह से यह कार्य आगे नहीं बढ़ सका। तमसा के संरक्षण में वनविभाग की भी अहम भूमिका थी। ----------------------
जल प्रदूषण ने घटाई श्रद्धालुओं की आमद
गोसाईगंज: नालों से निकलने वाले प्रदूशित पानी ने तमसा के जल को आचमन लायक तो दूर स्पर्शलायक भी नहीं छोड़ा। कई स्थानों पर तो तमसा नदी का स्वरूप नाले के समान हो चुका है। पूर्व में महादेवाघाट, सीतारामघाट व सत्संगघाट पर सुबह स्नान व पूजन करने वालों का जमावड़ा रहता था। 84 कोसी परिक्रमा मार्ग का पड़ाव होने की वजह से महादेवाघाट पर रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते थे, लेकिन जलकुंभी, कचरा व गंदे पानी से तमसा नदी अपना वजूद खोने की कगार पर हैं। तमसा नदी नालों के पानी, गंदगी व कीचड़ से कराह रही है। कई जगह तो जलकुंभी से पटी है। ---------------
अधर में ही अटकार सफाई अभियान
मयाबाजार/मसौधा : तमसा नदी का सफाई अभियान शुरू तो हुआ, लेकिन अधर में ही अटक गया। कुम्हिया, अमारी, रौवा लोहंगपुर, वेनवा, काजीपुर सहित तमसा तटीय गांवों में मनरेगा से सफाई कार्य शुरू किया गया था, लेकिन अपने अंतिम पड़ाव तक नहीं पहुंच सका। वर्तमान में तमसा नदी सुखी पड़ी है। मसौधा ब्लॉक के कैल, भदरसा, पिपरी, रैथुआ, मधुपुर, विकासखंड पूराबाजार के कछोली, कर्मा कोड़री, अंजना, अरती, रसूलाबाद, ऐमीआलापुर, तारुन के तारडीह, गयासपुर, घुरीटीकर, खेमीपुर निधियावा व बीकापुर के पुहपी, जलालपुर, जैनपुर, भावापुर सहित दर्जनों ग्राम सभाओं में पड़ने वाली करीब 140 किलोमीटर नदी का जीर्णोद्धार शुरू तो खूृब जोर-शोर से हुआ, लेकिन पूरा नहीं हो सका। मवई संवादसूत्र के मुताबिक क्षेत्र के हुनहुना गांव से बसौढ़ी, बरतरा, बीबीपुर, व भोलूपुर तक तमसा नदी की खुदाई कराई जा चुकी है, लेकिन जल का अपेक्षित प्रवाह नहीं हो सका।
-------------------
मजदूरी भी बकाया
रामपुरभगन : गयासपुर के मनरेगा मजदूर रामपता, सवारी, केसपता, जनकलली, सुधरा, राजाराम, रामबचन, जियालाल, जयकला, इंदा, सोना, सुमन, ज्ञानपता, ममता आदि के मुताबिक पांच हजार रुपये से अधिक की मजदूरी बकाया है।
------------------------ संघर्ष समिति के अध्यक्ष बोले
महबूबगंज : तमसा नदी को बचाने के लिए संघर्ष समिति का गठन किया गया। समिति समय-समय पर नदी की सफाई का अभियान भी छेड़ती है, लेकिन इस मुहिम में उम्मीद के मुताबिक और लोग नहीं जुड़ पा रहे हैं। इसके बावजूद समिति तमसा को बचाने के लिए सक्रिय है। अध्यक्ष अशोक चौरसिया ने बताया कि 84 कोसी परिक्रमा शुरू होने से पहले नदी की सफाई शुरू करने की योजना बनाई गई है।