संतों ने शिद्दत से ज्ञापित किया सुब्रमण्यम स्वामी का आभार
अयोध्या शीर्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी रामसेतु के संरक्षण रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण आतंक-अलगाव के प्रतिकार जैसे राष्ट्रवादी मूल्यों के पर्याय हैं। 80वां जन्मदिन मनाने रामनगरी आए स्वामी के इस अवदान के प्रति रामनगरी के संतों ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
अयोध्या : शीर्ष भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी रामसेतु के संरक्षण, रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण, आतंक-अलगाव के प्रतिकार जैसे राष्ट्रवादी मूल्यों के पर्याय हैं। 80वां जन्मदिन मनाने रामनगरी आए स्वामी के इस अवदान के प्रति रामनगरी के संतों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। रामचरित मानसभवन ट्रस्ट के सभागार में उनका अभिनंदन समारोह संयोजित था। समारोह की अध्यक्षता के लिए नगरी के शीर्ष संत एवं रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास स्वयं मौजूद थे तो समारोह के दौरान विचार व्यक्त करते हुए नगरी के प्रतिनिधि संतों ने स्वामी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने अपने उद्बोधन कहा, देश की आजादी के आंदोलन में जैसी प्रखर भूमिका नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे नेताओं की थी, मंदिर आंदोलन के फलक पर कुछ वैसी ही भूमिका सुब्रमण्यम स्वामी ने निभाई है। पूर्व सांसद एवं रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. रामविलासदास वेदांती ने कहा, स्वामी भले ही तामिलनाडु में पैदा हुए पर कर्मभूमि के रूप में उन्होंने रामजन्मभूमि का चुनाव किया। डॉ. वेदांती ने कहा, रामचंद्रदास परमहंस, अवेद्यनाथ एवं अशोक सिंहल जैसे मंदिर आंदोलन के नायक भले ही मंदिर निर्माण देखे बिना दिवंगत हो गए पर आंदोलन के मौजूदा नायक महंत नृत्यगोपालदास के साथ ऐसा नहीं होगा। यदि उनके रहते मंदिर निर्माण की संभावना सुनिश्चित हो रही है तो उसके पीछे सुब्रमण्यम स्वामी की प्रबल पैरोकारी है।
रामवल्लभाकुंज के अधकारी राजकुमारदास ने कहा, स्वामी के प्रयासों से मंदिर की दावेदारी में नई जान आई है, तो नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास ने स्वामी को अदालत के माध्यम से मंदिर निर्माण की संभावना प्रशस्त करने वाला नायक बताया। वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास ने स्वामी को राममंदिर के साथ राष्ट्रमंदिर का उन्नायक घोषित किया। संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास ने कहा, स्वामी के उद्यम से हिदुत्व और राष्ट्र विरोधियों के हौसले पस्त हुए हैं। गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह ने कहा, मंदिर की अदालती लड़ाई के लिए स्वर्गीय अशोक सिंहल ने स्वामी का चुनाव कर देश और रामभक्तों के साथ अपूर्व एहसान किया।