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भगवान राम के गहन अनुशीलन में डूबा 'नन्हा फकीर' Ayodhya News

महज 12 वर्ष की उम्र में 169 कृतियां लिखकर रिकॉर्ड बनाने वाले मृगेंद्र की प्रतिनिधि कृति है राम।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Fri, 29 Nov 2019 11:48 AM (IST)Updated: Fri, 29 Nov 2019 11:48 AM (IST)
भगवान राम के गहन अनुशीलन में डूबा 'नन्हा फकीर' Ayodhya News
भगवान राम के गहन अनुशीलन में डूबा 'नन्हा फकीर' Ayodhya News

अयोध्या [रघुवरशरण]। राम वह कौन हैं? क्या हैं? उन्हे जानता तक नहीं। क्या उनसे मिला जा सकता है? कैसे मिला जा सकता है? उनके दिखाये रास्ते पर क्या चला जा सकता है? मन में अनेक प्रश्न हैं और मैं पूर्णतया अनुत्तरित साथ में सशंकित भी कि मैं शायद बड़ी धृष्टता कर रहा हूं। जो नाम करोड़ों-अरबों मनुष्यों के जीवन में संबल बन उनका मार्गदर्शन करता है, जीवन जीने का तरीका सिखाता है, समस्याओं से उबरने में नौका बन सहारा देता है, मन-मस्तिष्क में रचा-ंबसा है, उनके बारे में क्या बताना है, लिखना है। मुझ जैसा अल्पज्ञ यदि उनकी याद किसी को दिलाने की नासमझी करे, तो इसे गंवारपन, पोंगापंथी माना जायेगा।

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राम जिनके स्वरूप, महिमा, पुरुषार्थ, प्रताप आदि पर लिखने की बिसात मेरी नहीं है और उन्हे समझने, जानने तथा मनन करने की भी मेरी किसी तरह सामथ्र्य नहीं है। इन सबके बावजूद उन पर कलम चलाने की नासमझी कर रहा हूं, तो संभवत: उनके आशीष के प्रताप के फल के कारण ही। यह उद्गार किसी मंझे दार्शनिक या आध्यात्मिक विभूति के नहीं हैं। न ही किसी पहुंचे संत के। यह उद्गार हैं, रामनगरी की मिट्टी में उपजे और यहीं की आबो-हवा में शिक्षित-संस्कारित हो रहे 12 वर्षीय मृगेंद्रराज के। यह पंक्तियां उनकी कृति 'राम' की भूमिका में संयोजित हैं। मृगेंद्र किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। साहित्य हो या कोई अन्य विधा। सृजन के क्षितिज पर छाप छोडऩा हंसी-खेल नहीं पर मृगेंद्र ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में 135 किताबें लिख डाली हैं।

होश संभालते ही अपनी प्रतिभा से चमत्कृत करने वाले मृगेंद्र ने छह वर्ष की उम्र से लेखन शुरू कर दिया। शुरुआत कविता से हुई। बदलते परिवेश में चुनौतियों का सामना कर रहीं नदियों सहित भगवान राम, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न एवं मां सीता जैसे महाकाव्यकालीन पात्रों पर किताब लिखकर उन्होंने नई दृृष्टि विकसित की। चमत्कारिक प्रतिभा के चलते मृगेंद्र को अनेक शीर्ष लोगों से भेंट का मौका मिला और उसके सृजन की परिधि भी व्यापक होती गई। 

उद्योगपति रतन टाटा एवं घनश्यामदास बिड़ला, गायक अनूप जलोटा, अभिनेता सलमान खान, अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, शायर अनवर जलालपुरी, कवयित्री मानसी द्विवेदी, गूगल ब्वॉय कौटिल्य, पत्रकार दीपक चौरसिया, योगी आदित्यनाथ आदि सहित 78 चुनिंदा लोगों की बायोग्राफी लिखकर उसने साबित किया कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती।

अमेरिकी संस्था गोल्डेन बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकाड्र्स की ओर से मृगेंद्र यंगेस्ट पोएट ऑफ दी वर्ल्‍ड, यंगेस्ट मल्टी डायमेंशनल राइटर ऑफ दी वर्ल्‍ड, यंगेस्ट प्रोलोफिक राइटर ऑफ दि वर्ल्‍ड एवं यंगेस्ट टू ऑथर मोस्ट बायोग्राफी जैसे सम्मान से विभूषित हो चुके हैं। सृजन-संवाद-समझ के क्षितिज पर उनकी चमक के पीछे कोई तुक्का नहीं बल्कि गहन-गंभीर गति है। मिसाल के तौर उनकी कृति 'राम' की ही कुछ अन्य पंक्तियां हैं, वे लिखते हैं- यह मुझे भले ही नहीं पता है कि मैं जिन पर लिखने का दुस्साहस कर रहा हूं, वह कौन हैं, फिर भी मेरे लेखन का आधार अयोध्या में जन्मे, आम जनमानस के रोम-रोम में बसे, मर्यादा पुरुषोत्तम, दशरथ नंदन भगवान श्रीराम जी ही हैं। मानव रूप में अवतरित होकर प्रभु द्वारा आदर्श के जिन मानदंडों की स्थापना की गयी है, उसी का अनुकरण कर आज का राज-समाज प्रगति पथ पर चल सकता है।

सम्यक भाव के साथ सारगर्भित सूत्र का भी निर्वचन

करीब 40 पृष्ठों की 'राम' में मृगेंद्र ने भगवान राम के प्रति गहन अनुराग, लेखकीय प्रवाह, तथ्यात्मक समृद्धि, सटीक कल्पना और सम्यक भाव का परिचय देने के साथ सारगर्भित सूत्र का भी निर्वचन किया है। 'रावणस्य मरणं राम:' की मीमांसा करते हुए यह नन्हां फकीर लिखता है, रावण शब्द का प्रथम अक्षर रा और मरणं का प्रथम अक्षर म। यानि वह सत्ता जिसकी शक्ति से रावण मर जाता है। रावण शब्द को परिभाषित करते हुए मृगेंद्र लिखते हैं, रौ एवं अन अर्थात रावन। यानि जो मन को नरक की ओर ले जाता है।

राम से जुड़ी कबीर की दृष्टि परिभाषित की

मृगेंद्र ने 'राम' को बयां करने में कबीर का भी आश्रय लिया है। वे लिखते हैं- 'महात्मा कबीर एक ही ईश्वर को मानते थे, कर्मकांड के घोर विरोधी थे, अवतार नहीं मानते थे, वह तो उन राम को मानते हैं, जो अगम हैं, जो संसार के कण-कण में विराजमान हैं। वह किसी खास खांचे में राम को नहीं रखना चाहते हैं। उनकी घोषणा है, हरिमोर पिउ, मैं राम की बहुरिया। कबीर दास नाम में विश्वास रखते हैं, रूप में नहीं, इसीलिये उन्होंने निर्गुण राम शब्द का प्रयोग किया है, कहते हैं- निर्गुण राम जपहु रे भाई। लेकिन यहां भ्रम में पड़ने की आवश्यकता नहीं है, उनका आशय सिर्फ इतना भर है कि ईश्वर को किसी भी नाम, रूप, गुण, काल आदि की सीमा में बांधा नहीं जा सकता है। कबीर का राम नाम बीज मंत्र है, राम नाम को उन्होंने अजपाजप कहा है। जिस तथ्य को मेडिकल साइंस कहती है कि मानव चौबीस घंटे में 21 हजार 600 श्वांस अंदर लेता है और उतनी ही बार छोड़ता है, इसी अवधारणा को कबीर यूं कहते हैं- सहस्र इक्कीस छह सौ धागा, निहचल नाकै पोवै। यानि मनुष्य 21 हजार 600 धागे नाक के सूक्ष्म द्वार में पिरोता है। अर्थात प्रत्येक श्वांस-प्रश्वांस में वह राम का स्मरण करता रहता है।' 

पांचवे विश्व रिकार्ड के करीब

गोल्डेन ऑफ वर्ल्‍ड रिकाड्र्स की ओर से यंगेस्ट पोएट ऑफ दि वर्ल्‍ड, यंगेस्ट मल्टी डायमेंशनल राइटर ऑफ दि वर्ल्‍ड, यंगेस्ट प्रोलोफिक राइटर ऑफ दि वर्ल्‍ड एवं यंगेस्ट टू आथर मोस्ट बायोग्राफी सहित कई अंतर्राष्ट्रीय

सम्मान से विभूषित हो चुके मृगेंद्र 

पांचवे विश्व रिकार्ड के करीब हैं। रामायण के 51 पात्रों सहित 78 शख्सियतों की बॉयोग्राफी लिखने के लिए अमेरिकी संस्था गोल्डेन बुक आफ वल्र्ड रिकाड्र्स अपने रिकार्ड बुक में मृगेंद्र का नाम दर्ज करने की तैयारी में है। यदि यह संभव हुआ, तो मृगेंद्र के नाम पांच विश्व रिकार्ड हो जाएगा।

माता-पिता की सामथ्र्य पड़ रही सीमित

इसी शहर के रहने वाले मृगेंद्र के पिता राजेश पांडेय गन्ना विभाग में कर्मचारी हैं और मां डॉ. शक्ति पांडेय स्ववित्तपोषित महाविद्यालय में शिक्षिका। बेटे की उपलब्धि मां-बाप को अभिभूत कर रही है पर उन्हें इस बात का मलाल है कि बेटे की संभावना से न्याय के लिए उनकी सामथ्र्य सीमित पड़ जा रही है। 

लंदन की यूनिवर्सिटी देगी डॉक्टरेट की उपाधि 

लंदन स्थित वल्र्ड रिकाड्र्स यूनिवर्सिटी की ओर से मृगेंद्र को डॉक्टरेट की उपाधि दिए जाने की तैयारी है पर इस प्रस्ताव पर अमल की औपचारिकता के लिए तीन लाख रुपये की दरकार है। पुत्र की संभावना को ध्यान में रखकर पहले से ही अपनी जमा-पूंजी खपा चुके मृगेंद्र के माता-पिता के लिए इस धन की व्यवस्था टेढ़ी खीर साबित हो रही है।


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