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26 करोड़ की विकास परियोजना पर लगा ग्रहण

ण कार्य उत्तरप्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड करवा रहा था। जिसमें से एक हाईवे किनारे बन रही मल्टीलेवल कार पार्किंग का है तो दूसरा कनक भवन के सामने से होकर गुजरने वाली ग्रेनाइट कोबल स्टोन रोड का निर्माण है। रामायण सर्कित के तहत लगभग 14 करोड़ की लाग

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 11:31 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 11:31 PM (IST)
26 करोड़ की विकास परियोजना पर लगा ग्रहण
26 करोड़ की विकास परियोजना पर लगा ग्रहण

अयोध्या : रामनगरी में भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत रामायण सर्किट के तहत होने वाली दो बड़ी विकास परियोजनाओं पर ग्रहण लग गया है। इनमें से एक हाईवे किनारे बन रही मल्टीलेवल कार पार्किंग है तो दूसरा कनक भवन के सामने से होकर गुजरने वाली ग्रेनाइट कोबल स्टोन रोड का निर्माण है। परियोजनाओं का निर्माण कार्य राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड करवा रहा था।

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रामायण सर्किट के तहत लगभग 14 करोड़ की लागत से मल्टीलेवल कार पार्किंग का निर्माण अयोध्या हाईवे पर फोरलेन पुल के बगल पुलिस मोर्चा के सामने हो रहा था। फाउंडेशन का कार्य शुरू हो चुका था। यह भूमि पर्यटन विभाग ने करीब आठ करोड़ की लागत से खरीदी थी। पिछले माह कार्यदायी संस्था ने निर्माण कार्य शुरू कराया। एक माह भी नहीं बीता, अयोध्या कोतवाली पुलिस ने कार्य रुकवा दिया। पता चला कि जिस भूमि को पर्यटन विभाग ने खरीदा था, वह विक्रेता की भूमि न होकर पार्किंग स्थल के पीछे है। उसने फ्रंट की जमीन बताकर पर्यटन विभाग को बेच दिया। विभाग ने भूमि लिखवाने के बाद कब्जा कर निर्माण शुरू करा दिया।

भूमि मालिक आकृति पत्नी भरत मखेजा को जब इसकी जानकारी हुई तो आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें बताया गया कि उनकी भूमि को गलत तरीके से दूसरे की दर्शाकर पर्यटन विभाग ने कब्जा कर निर्माण शुरू करवा दिया। इसी बीच पीड़ित पक्ष ने कोर्ट की शरण ली। सिविल जज जूनियर डिवीजन सदर की अदालत में क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी बृजपाल सिंह, पर्यटन विभाग और कलेक्टर को पार्टी बना दिया। अदालत ने विवादित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, जिसके बाद से पार्किंग निर्माण का कार्य रुक गया।

इसी तरह अयोध्या में हनुमानगढ़ी से कनकभवन होते हुए विभीषणकुंड तक कोबल स्टोन से सड़क निर्माण का काम चल रहा था। 1. 46 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण 12 करोड़ की लागत से होना था। कुछ दूर कार्य हुआ था कि स्थानीय निवासियों और संत-महंतों ने इसका विरोध कर कार्य रुकवा दिया। अधूरा कार्य छोड़ ठेकेदार चला गया। कार्यदायी संस्था उप्र. राजकीय निर्माण निगम के जेई एके श्रीवास्तव ने बताया कि शीर्ष अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है।


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