शिवसेना उत्तर भारतीयों के खिलाफ कभी नहीं रही
रमाशरण अवस्थी, अयोध्या : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के 24 नवंबर को प्रस्तावित अयोध्या आगमन की
रमाशरण अवस्थी, अयोध्या : शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के 24 नवंबर को प्रस्तावित अयोध्या आगमन की तैयारियों को पुख्ता करने आए महाराष्ट्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रम मंत्री एकनाथ ¨शदे ने शिवसेना पर उत्तर भारतीयों के विरोध के आरोप को निराधार बताया। 'जागरण' से मुखातिब ¨शदे ने स्पष्ट किया कि शिवसेना कभी भी उत्तर भारतीयों के खिलाफ नहीं रही। उन्होंने बताया कि बाला साहब ठाकरे के जमाने से लेकर आज तक शिवसेना उत्तर भारतीयों को मुंबई और महाराष्ट्र के नवनिर्माण में अहम सहयोगी मानती रही और उसका मानना था कि पीढि़यों से वहां रहने वाले उत्तर भारतीयों का उतना ही हक है, जितना वहां के मूल निवासियों का। उन्होंने यह जरूर स्वीकार किया कि हाल के कुछ वर्षों में शिवसेना की उत्तर भारतीयों के विरुद्ध खड़े होने की गलतफहमी अवश्य पैदा हुई है और इसके पीछे उस मनसे की भूमिका है, जिसके प्रमुख के नाम में शिवसेना प्रमुख की तरह ठाकरे सरनेम लगा है। एक सवाल के जवाब में ¨शदे ने बताया कि तीन दशक पूर्व शिवसेना की सोच थी कि उसका महाराष्ट्र से बाहर भी विस्तार हो पर जिन मूल्यों और मुद्दों के लिए शिवसेना संघर्षरत थी, उन्हीं मुद्दों पर भाजपा को आगे आते देख शिवसेना ने आत्मत्याग किया और स्वयं को महाराष्ट्र तक सीमित कर लिया पर अब बदली परिस्थितियों में शिवसेना पुन: महाराष्ट्र की सीमाओं को पारकर स्वयं को अखिल भारतीय स्तर पर और विशेष रूप से उत्तर भारत में पैठ बढ़ाने की तैयारी में हैं।
मंदिर मुद्दे पर उत्तरप्रदेश में भी मिल रहा समर्थन
- शिवसेना को राममंदिर मुद्दे पर उत्तरप्रदेश में भी समर्थन मिल रहा है। इस सच्चाई के परिचायक आजमगढ़ निवासी विधान परिषद के पूर्व सदस्य कैलाश यादव हैं। स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य चुने गए कैलाश स्वयं को मुद्दों की सियासत करने वाला मानते हैं और इसी चेतना से प्रेरित कैलाश ने विधान परिषद सदस्य का कार्यकाल सात माह शेष रहते प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों से प्रभावित हो भाजपा का दामन थाम लिया था। अब वे मंदिर मुद्दे पर शिवसेना प्रमुख के अयोध्या आगमन और उनके कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।