अयोध्या में शिवसेना को महंत नृत्यगोपालदास से झटका, विनय कटियार पर डोरे
मंदिर के बहाने उत्तर भारत में पैठ बनाने की जुगत में लगी शिवसेना को अयोध्या घटनाक्रम में बड़ा झटका लगा है। अब वह भाजपा नेता विनय कटियार पर भी डोरे डाल रही है।
जेएनएन, अयोध्या। शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। महंत नृत्यगोपालदास ने उद्धव ठाकरे के कार्यक्रम की अध्यक्षता करने से इन्कार कर दिया और कहा शिवसेना का कोई सदस्य मिला ही नहीं तो फिर अध्यक्षता करने का सवाल ही नहीं उठता है। विहिप का कार्यक्रम पहले से तय था। शिवसेना को पहले बात करनी चाहिए थी। महंत ने बताया कि धर्मसभा में प्रख्यात रामकथा वाचक मुरारी बापू भी करेंगे। शिवसेना ने 24 नवंबर को आशीर्वाद समारोह में महंत नृत्यगोपाल दास से अध्यक्षता करवाने का दावा किया है। इस बीच राममंदिर के बहाने उत्तर भारत में पैठ बनाने की जुगत में लगी शिवसेना भाजपा के हाईप्रोफाइल नेता विनय कटियार पर डोरे डाल रही है।
कटियार अब दिखते भाजपा में उपेक्षित
दरअसल, तीन बार लोकसभा सदस्य और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे कटियार मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता और हिंदुत्व के आतिशी प्रवक्ता रहे हैं। मंदिर आंदोलन के उभार के दिनों में वे बजरंगदल के संस्थापक संयोजक भी रहे। इन विशिष्टताओं के बावजूद यदि कटियार अब भाजपा में उपेक्षित नजर आ रहे हैं तो उनकी यह पहचान शिवसेना को लुभा रही है। राममंदिर के लिए कानून बनाने की मांग के साथ शनिवार को रामनगरी पहुंच रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं होगी कि कटियार लक्ष्मणकिला परिसर में आयोजित संतपूजन समारोह में उनके साथ मंच साझा करें।
संत पूजन न सही कहीं और मुलाकात
उद्धव के दूत कटियार से लगातार संपर्क बनाए हैं और चाहते हैं कि कटियार संतपूजन समारोह के मंच पर आने में संकोच कर रहे हैं तो किसी अन्य स्थल पर शिवसेना प्रमुख से मुलाकात सुनिश्चित कराई जा सके। कटियार को साधने में लगे उद्धव के प्रतिनिधियों को भरोसा है कि भाजपा में अपनी उपेक्षा से आजिज कटियार शिवसेना का दामन थामकर नई पारी शुरू कर सकते हैं। कटियार प्रखरहिंदुत्व के जिस विचार के हामी रहे हैं, उस विचार के करीब भाजपा से कहीं अधिक शिवसेना रही है। शिवसेना में आकर कटियार कहीं अधिक स्वतंत्रता का अनुभव कर सकेंगे। हालांकि इस मुहिम को अभी कटियार की ओर से हरी झंडी नहीं मिली है पर इस साल की शुरुआत से राज्यसभा का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद वे भाजपा में अलग-थलग पड़े हैं। भाजपा में उनकी उपेक्षा का ताजा उदाहरण दीपोत्सव है और ऐसे में कटियार अपना नया राजनीतिक विकल्प ढूंढें, इसमें अचरज भी नहीं है।